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सोने में निवेश के नाम पर हो रही है ठगी

नयी दिल्ली: सेबी की पौंजी योजनाओं पर लगाम लगाने की कोशिशें जारी रहने के बीच पश्चिम बंगाल के बाद अब ओडिशा भी ऐसी गैरकानूनी योजनाओं का बडा अड्डा उभरकर सामने आया है. ओडिशा में जट्रोफा के पौधों और सोने में निवेश के नाम पर अवैध जमा योजनायें चलाकर भोले भाले निवेशकों को ठगा जा रहा […]

नयी दिल्ली: सेबी की पौंजी योजनाओं पर लगाम लगाने की कोशिशें जारी रहने के बीच पश्चिम बंगाल के बाद अब ओडिशा भी ऐसी गैरकानूनी योजनाओं का बडा अड्डा उभरकर सामने आया है. ओडिशा में जट्रोफा के पौधों और सोने में निवेश के नाम पर अवैध जमा योजनायें चलाकर भोले भाले निवेशकों को ठगा जा रहा है.

ऐसी कई कंपनियां जांच के घेरे में आई हैं जिनका इस पूर्वी राज्य में मुख्यालय है अथवा उल्लेखनीय मौजूदगी है. गैरकानूनी सामूहिक निवेश योजनाएं चलाने के संबंध में इनकी जांच की जा रही है जबकि क्षेत्र में 20 अन्य कंपनियों के खिलाफ सेबी की दंडात्मक कार्रवाई पहले ही शुरु की जा चुकी है.
सेबी की जांच के दायरे में जो प्रमुख नाम सामने आये हैं, जिन पर जुर्माना लगाया जा सकता है और आगे अन्य प्रवर्तन उपायों को किया जा सकता है उनमें सनशाइन और ग्रीन रे समूह शामिल हैं.इस साल सनशाइन समूह के मामले में एक आदेश जारी करने के बाद नियामक मामले की आगे जांच कर रहा है.
इन कंपनियों के बारे में संदेह है कि इन्होंने कुछ ही साल में पैसे दोगुने होने और ऐसे ही भारी मुनाफे के सब्जबाग दिखाकर जट्रोफा पौधों, रीयल एस्टेट उद्यमों, आतिथ्य कारोबार, सोने एवं चांदी के सिक्कों और कई कृषि संबंधी गतिविधियों के नाम पर निवेशकों से हजारों करोड रुपए जुटाए.वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक पडोसी राज्य पश्चिम बंगाल की तरह ही गैरकानूनी तरीके से धन जुटाने की ऐसी गतिविधियों का ओडिशा भी बडा अड्डा बनकर उभरा है.
पश्चिम बंगाल से परिचालन करने वाले सारदा समूह सहित विभिन्न कंपनियों का भी ओडिशा में कारोबार है. सेबी एकमात्र ऐसी नियामक संस्था है जिसने अब तक सारदा समेत कई मामलों में निर्देश जारी किए हैं हालांकि, अन्य एजेंसियां अभी जांच कर रहीं हैं.
सेबी ने इन मामलों में निवेशकों को धन लौटाने और इस तरह की गतिविधियों पर प्रतिबंध संबंधी आदेश जारी किया है. इसके अलावा नियामक ने राज्य सरकारों और अन्य एजेंसियों को ऐसी योजनाओं के परिचालकों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए पत्र भी लिखा है और कुछ अन्य मामलों में ऐसी ही कार्रवाई की उम्मीद है.
ओडिशा में पहले गैरकानूनी तौर पर धन जुटाने की गतिविधियां मुख्य तौर पर कृषि कारोबार से जुडी थीं लेकिन हाल में जट्रोफा, सोने एवं चांदी के सिक्के और रीयल एस्टेट योजनाओं जैसे मामले सामने आये हैं. एक मामले में जट्रोफा पौधों से जुडी योजना में 40,000 भोले-भाले निवेशकों से इस वायदे पर धन जुटाया गया कि अगले सात साल में उनका धन तिगुना हो जाएगा.
जट्रोफा, जंगली पौधा है और यह आम तौर पर मिस्र, भारत और मेडागास्कर के सूखे एवं गर्म इलाकों में पाया जाता और इसने 2007 में आर्थिक महत्ता तब प्राप्त की जबकि वैश्विक निवेश बैंकिंग क्षेत्र प्रमुख कंपनी गोल्डमैन साक्स ने भविष्यवाणी की कि जट्रोफा भविष्य में जैव-डीजल उत्पादन का एक प्रमुख स्नेत हो सकता है.
विश्व भर की कई सरकारों ने जट्रोफा लगाने और जैव-ईंधन उत्पादन में इसके अनिवार्य तौर पर मिश्रण के लिए विशेष कार्यक्रम पेश किए लेकिन इनका परिणाम बहुत उत्साहजनक नहीं रहा. जट्रोफा के जैव-ईंधन से जुडे मिथक का फायदा उठाने के लिए कुछ कंपनियों ने निरीह निवेशकों से धन इकट्ठा करने के लिए अपनी योजनाएं शुरु कीं.
सेबी ने ओडिशा में जिन कंपनियों पर कार्रवाई की है उनमें अभिनव ऐग्रोटेक, अक-लोव्या प्लांटेशन, ऑरोश्री ऐग्रो इंडस्टरीज, बेथेल ग्रीन ग्रोथ, बिकास इंडिया ऐग्रो एस्टेट्स, छोटानागपुर हर्बल ऐग्रो, ग्रीन एस्टेट्स, ग्रीन गार्डन प्लांटेशंस, ग्रीनेज प्लांटेशंस, जीबन बिकाश प्लांटेशंस लाइफकेयर, सुरक्ष्या ग्रीन गोल्ड, ट्रांस ओशियेनिक ऐग्रोटेक, महानदी प्लांटेंशंस, मारति ग्रीनरीज, नैचुरल प्लांटेशंस और रुरल ऐग्रो प्लांटेशंस शामिल हैं.
देश के हर हिस्से में चल रही इस तरह की गैर कानूनी धन-संग्रह योजनाओं के बीच सेबी ने राज्य सरकारों से कहा कि वे ऐसी गतिविधियों के खिलाफ पहली पंक्ति की सुरक्षा तैयारी करें और जिन मामलों में कार्रवाई की जरुरत है उनमें पूंजी बाजार नियामक को सचेत करें.
सेबी अध्यक्ष यू के सिन्हा ने हाल में कहा था कि नियामक राज्यों को इन खतरनाक गतिविधियों से निपटने में पूरी मदद करेगा जिनमें पोंजी और अन्य गैरकानूनी योजनाओं के जरिए निवेशकों से हजारों करोड रुपये कत्रित किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि राज्यों के पास अपार शक्ति है और यदि इसका सही उपयोग किया जाए तो ऐसी कंपनियों को कानूनी शिकंजे में लाया जा सकता है.
सेबी ने सभी राज्यों से अपील की कि वे राज्य जमा सुरक्षा अधिनियम पारित करें जिसमें राज्य सरकारों को गैरकानूनी तौर पर धन जमा प्राप्त करने वाली गतिविधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मंजूरी मिलेगी। कई राज्य यह कानून पारित कर चुके हैं और कम से कम सात अन्य राज्यों को अभी ऐसा कानून बनाना है. सेबी कानून में किये गये नये बदलाव के तहत सेबी को ऐसी गैर कानूनी धन-संग्रह योजनाओं के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है जिनमें 100 करोड रुपये या इससे अधिक राशि जुटाई गई है.

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