जम्मू-कश्मीर: साल 2021 के दौरान 19 पाकिस्तानी समेत 171 आतंकी ढेर, पहली बार आतंकियों की संख्या 200 से नीचे
आईजी विजय कुमार ने कहा कि आतंकवाद शुरू होने के बाद से पहली बार पूरे कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों की कुल संख्या 200 से नीचे आ गई है.
श्रीनगर : आज साल 2021 का आखिरी दिन है और रात 12 बजे के बाद साल 2022 प्रवेश कर जाएगा. साल 2021 के दौरान कोरोना महामारी से दुनिया तबाह रही, तो जम्मू-कश्मीर में भारतीय सैनिकों और सुरक्षा बलों की जवाब कार्रवाई से बेपरवाह आतंकियों जमकर उत्पात मचाया है और बेगुनाहों की जान ली. पूरे साल की बात करें, तो 2021 में भारतीय सेना और सुरक्षा बलों के जवानों ने 19 पाकिस्तानी समेत करीब 171 आतंकियों को ढेर कर दिया.
कश्मीर रेंज के पुलिस महानिदेशक (आईजीपी) विजय कुमार ने मीडिया को बताया कि साल 2021 में 171 आतंकवादी मारे गए हैं, जिसमें 19 पाकिस्तानी आतंकवादी, 152 स्थानीय आतंकवादी हैं. साल 2020 के दौरान आतंकियों की गोलियों से करीब 37 स्थानीय लोगों की जान गई थी, जबकि साल 2021 में आतंकियों ने 34 स्थानीय लोगों की जान ली है.
घाटी में आतंकियों की संख्या घटकर 180 रह गई
दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग जिले के काजीगुंड इलाके में संवाददाता को संबोधित करते हुए कश्मीर रेंज आईजीपी विजय कुमार और सेना की 15 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे ने कहा कि घाटी में सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है. लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा कि इस साल किए गए अधिकांश ऑपरेशन इंटेलीजेंस पर आधारित थे. उन्होंने कहा कि घाटी में सक्रिय आतंकवादियों की संख्या घटकर 180 रह गई है.
मुठभेड़ में मारे गए 78 आतंकवादी
वहीं, आईजी विजय कुमार ने कहा कि आतंकवाद शुरू होने के बाद से पहली बार पूरे कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों की कुल संख्या 200 से नीचे आ गई है. उन्होंने कहा कि यह भी पहली बार हुआ है कि स्थानीय आतंकवादियों की संख्या 100 से नीचे पहुंच गई है और यह 85 या 86 है. उन्होंने कहा कि इस साल अब तक 128 युवा आतंकी गुटों में शामिल हो चुके हैं, जिनमें से 73 विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए हैं और 16 को गिरफ्तार किया गया है.
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नागरिकों का मिल रहा सहयोग
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा कि पिछले दो साल की तुलना में 2021 में आतंकी संगठनों द्वारा युवाओं की भर्ती में कमी आई है. उन्होंने कहा कि पिछले साल यह संख्या 180 से अधिक थी. यह संकेत देता है कि नागरिक समाज में जागरुकता आई है. लोगों ने हिंसा की निरर्थकता को महसूस किया है. वे समझते हैं कि (सीमा पर) क्या हो रहा है. उन्होंने कहा कि हमें इसे सकारात्मक रूप से देखना चाहिए. नागरिक आबादी आतंकवादियों को खत्म करने में हमारी मदद कर रही है और हिंसा के चक्र को तोड़ने में भी हमारा मनोबल बढ़ा रही है.