नई दिल्ली: सरकार घाटे में चल रहे कुछ सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) के निजीकण पर विचार करने को तैयार है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि इन घाटे वाले उपक्रमों को करदाताओं के पैसे से सब्सिडी देना कोई टिकाऊ समाधान नहीं है.
वित्त मंत्री ने यहां भारत आर्थिक शिखर सम्मेलन में कहा कि निश्चित रुप से मैं उन कुछ पीएसयू पर विचार करने को तैयार हूं जो निजी हाथों में अधिक बेहतर काम कर सकते हैं.
जेटली ने कहा कि कुछ सार्वजनिक उपक्रम बिल्कुल बंदी के कगार पर हैं और इससे लोग बेरोजगार हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि यदि उन्हें मौजूदा रुप में ही चलाने या उनके निजीकरण करने का विकल्प दिया जाए, तो दूसरा विकल्प ज्यादा अच्छा होगा. उन्होंने कहा कि फिलहाल ये उपक्रम सिर्फ सरकारी सहायता से टिके हुए हैं और यह दीर्घावधि का समाधान नहीं है. करदाता घाटे वाले कारोबार के लिए भुगतान नहीं कर सकते.
गौरतलब है कि जुलाई महीने में वित्त मंत्री ने राज्यसभा में कहा था कि चार सार्वजनिक उपक्रमों को बंद किया जाएगा क्योंकि उनके पुनरोद्धार की गुंजाइश नहीं है.