Loading election data...

पीएम मोदी का आस्ट्रेलिया दौरा : भारत की उर्जा जरूरतों के पूरा होने की उम्मीद

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को आस्ट्रेलिया के दौरे पर जा रहे हैं. मोदी अपने इस महत्वपूर्ण दौरे पर वहां के चार प्रमुख शहरों का भी दौरा करेंगे. वे सिडनी, ब्रिसबेन, केनेबरा व मेलबोर्न जायेंगे. आस्ट्रेलिया की राजधानी केनेबेरा में वे जी 20 सम्मेलन में शामिल होंगे. पीएम आस्ट्रेलिया से म्यांमार जायेंगे और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 6, 2014 4:15 PM
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को आस्ट्रेलिया के दौरे पर जा रहे हैं. मोदी अपने इस महत्वपूर्ण दौरे पर वहां के चार प्रमुख शहरों का भी दौरा करेंगे. वे सिडनी, ब्रिसबेन, केनेबरा व मेलबोर्न जायेंगे. आस्ट्रेलिया की राजधानी केनेबेरा में वे जी 20 सम्मेलन में शामिल होंगे. पीएम आस्ट्रेलिया से म्यांमार जायेंगे और वहां इंडिया इस्ट एशिया समिट व इंडिया आसियान सम्मेलन में शामिल होंगे.
मोदी अपने इस अहम दौरे के दौरान आस्ट्रेलिया के साथ उर्जा सहयोग पर समझौता करेंगे. भारत आस्ट्रेलिया से यूरेनियम व कोयला की उम्मीद रखता है. ताकि इससे भारत की उर्जा जरूरतें पूरी हो सकें. इसके अलावा उससे प्राकृतिक गैस को लेकर भी भारत की उम्मीदें जुडी हैं.
आस्ट्रेलिया के पास अकेले दुनिया का 40 प्रतिशत यूरेनियम भंडार है. साथ ही उसके बाद बडा कोयला भंडार है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि उसके पास अगले एक हजार साल के लिए कोयला रिजर्व उपलब्ध है. अगर, भारत को आस्ट्रेलिया से यूरेनियम व कोयला प्राप्त हो तो इससे भारत की बडी उर्जा जरूरतें पूरी हो जायेंगी.
पीएम मोदी का आस्ट्रेलिया दौरा इस मायने में भी अहम है कि जापान दौरे के दौरान उसके साथ भारत को परमाणु उर्जा करार करने में सफलता नहीं मिली थी. हालांकि इसके पीछे तात्कालिक कारणों के अलावा जापान के कुछ निजी आग्रह भी हैं. परमाणु हमले से बुरी तरह तबाह हुआ यह देश गैर परमाणु उर्जा स्नेतों पर अधिक भरोसा करता है और उससे दूरी बनाये रखता है. उसके इस निजी आग्रह का असर उसकी कूटनीति पर भी दिखता है.
बहरहाल, पीएम के जापान से लौटने के तुरंत बाद आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टॉनी एबोट भारत के दौरे पर आये थे. उस समय दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर बात हुई थी, लेकिन इसमें प्रमुख मुद्दा आस्ट्रेलिया से यूरेनियम की प्राप्ति ही था. इस आशय के समझौते पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर भी किये थे. अब पीएम मोदी अपने आस्ट्रेलिया दौरे में उस समझौते को आगे बढाने का प्रयास करेंगे. ध्यान रहे कि अबतक आस्ट्रेलिया भारत को इसलिए यूरेनियम नहीं देता रहा है, क्योंकि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है. लेकिन दक्षिणपंथी टॉनी एबोट के सरकार में आने के बाद आस्ट्रेलिया ने अपनी यह पुरानी नीति बदल दी है. आस्ट्रेलिया की टॉनी एबोट सरकार का मानना है कि भारत को यूरेनियम दिया जा सकता है, लेकिन इसके लिए उसे कुछ सुरक्षा मानकों का पालन करना होगा. उसका संकेत साफ है कि इसका उपयोग रक्षा जरूरतों में नहीं किये जाने की शर्त पक्की हो और उसे इसके लिए पक्का भरोसा दिलाया जाये. ध्यान रहे कि 2012 में आस्ट्रेलिया की लेबर पार्टी की सरकार भारत को यूरेनियम देने पर औपचारिक रूप से रोक लगा दी थी.
अब जब भारत व आस्ट्रेलिया दोनों देशों में दक्षिणपंथी सरकार है, तब इस बात के बडे स्पष्ट संकेत हैं कि दोनों देश एक दूसरे की जरूरतों के अनुरूप आपसी सहयोग को बढायेंगे. इसका संकेत आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टॉनी एबोट प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी को 900 साल पुरानी भारत की शिवजी की मूर्ति वापस कर दी. यह मूर्ति किसी माध्यम से वहां के संग्राहलय में पहुंच गयी थी. टॉनी एबोट भारत के साथ व्यापार वाणिज्य के लिए सहयोग बढाना चाहते हैं. बहरहाल, अब हम उम्मीद करें कि दोनों देशों के संबंध एक नये युग में पहुंचेंगे और एक दूसरे का हाथ थाम विकास का एक नया इतिहास रचेंगे.

Next Article

Exit mobile version