तेल अवीव : केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने इस्राइल पहुंच गए हैं. राजनाथ वहां आतंकवाद के खिलाफ लडाई सहित विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे. सिंह को यहां कल सुबह पहुंचना था लेकिन मोनाको में खराब मौसम की वजह से उनकी उडान रद्द कर दी गयी और गृह मंत्री को योजना में बदलाव करना पडा.
अंतत: वह स्थानीय समयानुसार रात दस बजे इस्राइल पहुंचे. गृह मंत्री इंटरपोल की महासभा में शामिल होने के लिए मोनाको गए थे. जहां उन्होंने हिन्दी में भाषण दिया. सिंह की योजना में अनपेक्षित परिवर्तन के बावजूद इस्राइल ने उनका भव्य स्वागत किया और प्रधानमंत्री कार्यालय ने आज शाम उनकी प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ मुलाकात तय कर दी.
इस्राइल सरकार के एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया कि हमारे लिए भारत बहुत महत्वपूर्ण सहयोगी है और हम गृह मंत्री की यात्रा को एक अहम यात्रा के तौर पर देखते हैं. हम ऐसी सार्थक बातचीत के आकांक्षी हैं जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग और अधिक मजबूत हो. जून 2000 के बाद किसी भारतीय गृह मंत्री की यह पहली इस्राइल यात्रा है.
जून 2000 में तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी यरुशलम गए थे और द्विपक्षीय सहयोग में खासा उछाल दिखाई दिया था. सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से अलग, नेतन्याहू से मुलाकात की थी. तब नेतन्याहू ने भारत के साथ व्यापक सहयोग की आकांक्षा जतायी थी.
सिंह इस्राइल के जन सुरक्षा मंत्री यित्जाक अहरोनोविच से तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार योसी कोहेन से मिलेंगे जो हेलीकॉप्टर से सीमाई इलाकों के उनके दौरे में उनके साथ रहेंगे. भारत और इस्राइल ने घरेलू सुरक्षा से जुडे तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं जिनमें संगठित अपराध, मानव तस्करी, साइबर अपराध, धन शोधन को रोकने में सहयोग, आतंकवाद से मुकाबला और नकली करेंसी नोटों के प्रसार पर रोक में सहयोग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं.
पिछले माह कोहेन ने दिल्ली में सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ राजनयिकों से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के दौरान दोनों पक्षों ने दोनों देशों के सामने मौजूद चुनौतियों, उनके समाधान और हर क्षेत्र में विभिन्न स्तरों पर सहयोग की अपनी अपनी आकांक्षा के बारे में चर्चा की थी.
भारत इस्राइल से रक्षा उपकरणों का बडा खरीददार है और रुस के बाद इस्राइल नयी दिल्ली को हथियार और युद्ध के सामान का दूसरा सबसे बडा आपूर्तिकर्ता है. मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत सिंह इस्राइल के रक्षा उद्योग को यह समझाने का भी प्रयास करेंगे कि वह भारत में विनिर्माण की नयी नीतियों का लाभ उठाए. साथ ही वह उन्हें एक निश्चित समय सीमा के अंदर मंजूरी (क्लियरेन्स) के लिए सरल नियामक ढांचे का आश्वासन भी देंगे.