नयी दिल्ली : भूटान के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को और अधिक मजबूत करने के उद्देश्य से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज दो दिवसीय भूटान यात्रा पर रवाना हो गए. 26 साल के अंतराल में किसी भारतीय राष्ट्रपति की यह पहली भूटान यात्रा है. समझा जाता है कि मुखर्जी की इस यात्रा के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.
इस यात्रा के दौरान मुखर्जी द्विपक्षीय संबंधों को एक नये स्तर तक विस्तार देने के उद्देश्य से भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक और प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे के साथ साथ अन्य नेताओं से भी मुलाकात करेंगे. सूत्रों ने बताया कि भारत प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने का आकांक्षी है और इस सिलसिले में भूटान से सहयोग के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.
राष्ट्रपति की भूटान यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस देश की यात्रा करने के करीब पांच माह बाद हो रही है. मोदी की भी यह प्रधानमंत्री के तौर पर पहली भूटान यात्रा थी. भूटान नरेश और वहां के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति मुखर्जी से मुलाकात करेंगे. यह मुलाकात परस्पर हितों से जुडे सभी मुद्दों पर तथा करीबी द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूत करने के उपायों पर चर्चा करने का एक अवसर प्रदान करेगी.
भूटान के साथ भारत के विशेष संबंध रहे हैं जिन्हें उत्तरोत्तर भूटान नरेशों और भारतीय नेताओं ने बनाए रखा और आगे बढाया है. राष्ट्रपति के साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल गया है जिसमें रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा, संसद सदस्य मुख्तार अब्बास नकवी, अनिल शिरोले, महेंद्र नाथ पांडेय (सभी भाजपा), गौरव गोगोई (कांग्रेस) तथा कुछ शिक्षण एवं अकादमिक संस्थानों के अधिकारी एवं प्रतिनिधि शामिल हैं.