फिर विवादों में स्मृतिः तारीफ के बदले बना दिया एनआइटी का अध्यक्ष!
नयी दिल्लीः केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक बार फिर विवादों में घिरती नजर आ रही हैं. इस बार उनपर नागपुर के एनआइटी (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) अध्यक्ष पद की नियुक्ति नियमों को ताक पर रखकर करने का आरोप लगा है. ईरानी ने जिन्हें अध्यक्ष पर पर नियुक्त किया है उनका नाम विशराम जामदार है. खबरों […]
नयी दिल्लीः केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक बार फिर विवादों में घिरती नजर आ रही हैं. इस बार उनपर नागपुर के एनआइटी (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) अध्यक्ष पद की नियुक्ति नियमों को ताक पर रखकर करने का आरोप लगा है. ईरानी ने जिन्हें अध्यक्ष पर पर नियुक्त किया है उनका नाम विशराम जामदार है.
खबरों के अनुसार, जामदार ने अपनी नौकरी के लिए भेजे गये एप्लीकेशन के साथ एक पत्र भी भेजा, जिसमें उन्होंने अपने आरएसएस के साथ संबंध का बखान किया. इतना ही नहीं उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को याद दिलाया कि वे कुछ समय के लिए नागपुर में उनके ही घर में रूकीं थीं. इसके अलावा इस पत्र में ईरानी की जमकर तारीफ की गयी है.
अब स्मृति पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पैनल द्वारा तैयार की गयी चार लोगों की लिस्ट को दरकिनार करते हुए जामदार के नाम को ही राष्ट्रपति की मुहर के लिए भेज दिया. राष्ट्रपति ने भी 15 सितंबर को अध्यक्ष के तौर पर जामदार के नाम पर मुहर लगा दी. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने इस मामले का खुलासा किया और एक विस्तृत रिपोर्ट छापी.
जामदार ने स्मृति को लिखी चिट्ठी में कहा, नागपुर में आपके छोटे से दौरे के दौरान आप हमारे ही घर पर रूकी थीं. इसके बाद मैं दिल्ली में अपने परिवार के साथ बीजेपी ऑफिस में भी आपसे मिला और आपके व्यक्तित्व से खासा प्रभावित हुआ. हमें उम्मीद है कि आपके नेतृत्व में मानव संसाधन मंत्रालय अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे ढंग से निभाएगा और नयी ऊंचाइयों को छुएगा. उन्होंन आगे लिखा कि इस पत्र के साथ मैंने मेरा बायोडाटा भी भेजा है.
स्मृति इससे पहले भी विवादों में रही हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय का पदभार संभालने के साथ ही उनकी शिक्षा को लेकर विवाद खड़ा हुआ. लेखिका मधु किश्वर ने उन पर खूब हमले किये थे. विवाद इतना बढ़ा कि स्मृति को सामने आकर इस मामले में सफाई देनी पड़ी.दिल्ली विश्वविद्याल के चार साल के तकनीकी पाठ्यक्रम को रद्द करने के फैसले को लेकर भी विवादों में रही हैं.