नयी दिल्ली : हमारे देश में महिलाओं की जलने से होनेवाली मौत पुरुषों की तुलना में ज्यादा होती है. एक ताजा अध्ययन के अनुसार, जल कर मरनेवाली महिलाओं में ज्यादातर वैसी हैं, जिनकी शादी को दस साल भी पूरे नहीं हुए होते हैं.
इस अध्ययन से छन कर दो बातें सामने आयी हैं, पहली यह कि सामान्यत: पुरुषों से अधिक महिलाओं की जल कर मौत होती है और दूसरी बात यह कि जल कर मरना महिलाओं में हत्या और आत्महत्या का एक बड़ा जरिया है. इस अध्ययन से यह बात भी सामने आयी है कि जलना, हमारे देश में महिलाओं के प्रति होनेवाली हिंसा का बड़ा तरीका है.
महिला स्वास्थ्य विषयों पर काम करनेवाले संगठन, स्नेहा, द्वारा किये गये इस अध्ययन के आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर साल लगभग डेढ़ से दो लाख लोगों की जल कर मौत होती है. इस अध्ययन के आंकड़ों से इस बात का पता भी चलता है कि जलकर होनेवाली मौतों की इस संख्या में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की हिस्सेदारी 1.1 से लेकर 1.6 गुणा तक अधिक होती है.
अप्राकृतिक मौत का यही एक मामला है, जिसमें महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है. इस अध्ययन का नेतृत्व स्नेहा संगठन की डॉ नायरीन दारुवाला के अलावा, यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के डिपार्टमेंट ऑफ सिक्योरिटी ऐंड क्राइम साइंस की डॉ ज्योति बेलुर और इंस्टीटय़ूट फज्ञॅर ग्लोबल हेल्थ के डॉ डेविड ऑसरिन ने किया.
इसमें महिलाओं, उनके परिवारवालों, डॉक्टरों, नर्सो और पुलिस अधिकारियों से जलने के मामलों और उनमें शामिल चिकित्सकीय और कानूनी कार्यवाहियों के बारे में पूछा गया.