नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल का पहला विस्तार हो गया. इसमें मनोहर पर्रिकर सहित कुल 21 मंत्रियों ने शपथ ली. नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों को ध्यान में रखते हुए अबतक छूटे हुए लगभग सभी राज्यों के नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल करने का फैसला किया . कैबिनेट के लिए चार, स्वतंत्र प्रभार में तीन और 14 राज्यमंत्री के रूप में शपथ लिया. कैबिनेट मंत्री के रूप में सर्वप्रथम मनोहर पर्रिकर ने शपथ ली. इसके बाद सुरेश प्रभु, जेपी नड्डा और चौधरी बिरेंद्र सिंह ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली. सभी ने हिन्दी में शपथ ली.
4 कैबिनेट मंत्री
मनोहर पार्रिकर : रक्षा
सुरेश प्रभु : रेल
जीपी नड्डा : स्वास्थ्य व परिवार कल्याण
चौधरी बीरेंद्र सिंह : ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेयजल व स्वच्छता
3 राज्यमंत्री
(स्वतंत्र प्रभार)
राजीव प्रताप रूडी : स्किल डेवलपमेंट, संसदीय मामले
बंडारू दत्तात्रेय : श्रम व रोजगार
डॉ महेश शर्मा : संस्कृति, पर्यटन व उड्डयन
14 राज्यमंत्री
रामकृपाल यादव : पेयजल व स्वच्छता
गिरिराज सिंह : सुक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग
जयंत सिन्हा : वित्त
बाबुल सुप्रियो : शहरी विकास, गरीबी उन्मूलन
मुख्तार अब्बास नकवी : अल्पसंख्यक व संसदीय मामले
सांवरलाल जाट : खेल व युवा मामले
मोहनभाई कुंदरिया : कृषि
हंसराज अहिर : केमिकल फर्टिलाइजर
रामशंकर कठेरिया : मानव संसाधन
हरिभाई चौधरी : गृह
वाइएस चौधरी : विकान व तकनीक, भूविज्ञान
राज्यवर्धन राठौड़ : सूचना प्रसारण
साध्वी निरंजन ज्योति : खाद्य प्रसंस्करण
विजय सांपला : सामाजिक न्याय व सशक्तीकरण
जानें कौन क्या हैं और कहां से हैं
मनोहर र्पीकर (59), गोवा
संघ के प्रचारक रहे आइआइटी, मुंबई से इंजीनियरिंग करनेवाले र्पीकर तीन बार गोवा के सीएम रहे, साफ-सुथरी छवि के व्यक्ति और कुशल प्रशासक हैं
1994 में चार विधायकवाली भाजपा को 2012 में गोवा में सत्तासीन किया
गोवा में अवैध खनन को मुद्दा बनाया
वह पहले शख्स थे, जिन्होंने कहा कि मोदी के चेहरे के साथ पार्टी को 2014 आम के लोकसभा चुनाव में जाना चाहिए
जेपी नड्डा (54), हिमाचल प्रदेश
नरेंद्र मोदी और अमित शाह के विश्वसनीय सहयोगी, कुशल रणनीतिकार, विनम्र स्वभाववाले और कॉलेज जीवन में प्रख्यात छात्र नेता रहे नड्डा बड़ी चुनौतियों का समाधान करनेवालों में गिने जाते हैं. पर्दे के पीछे काम करना पसंद करते हैं
भाजपा अध्यक्ष पद के मजबूत दावेदार थे. आरएसएस का पूरा समर्थन प्राप्त है, भाजपा के सभी प्रमुख नेताओं के साथ उनके अच्छे संबंध हैं
पटना विश्वविद्यालय के कुलपति के घर जन्मे नड्डा युवावस्था में हिमाचल प्रदेश की प्रभावी राजनीतिक हस्ती के तौर पर उभरे. राज्यसभा से पूर्व तीन बार विधायक रहे
बंडारु दत्तात्रेय (67), तेलंगाना
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अविभाजित आंध्रप्रदेश में भगवा पार्टी के प्रमुख नेता अब तेलंगाना के एकमात्र भाजपा प्रतिनिधि हैं
1965 में संघ से जुड़े, 1968-89 तक संघ के प्रचारक रहे
जेपी आंदोलन के दौरान गिरफ्तार हुए, 1980 में भाजपा में आये. 1991-96, 1998-99 और 1999-2004 में लोकसभा सदस्य रहे
2003-04 में अटल सरकार में शहरी विकास मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे
नारियल बोर्ड, टेलीफोन सलाहकार बोर्ड, रेलवे सलाहकार बोर्ड जैसे कई संस्थानों के सदस्य रहे
बाबुल सुप्रियो (44), बंगाल
गायक के तौर पर बाबुल सुप्रियो भले ही वैसा स्टारडम हासिल नहीं कर पाये हों, जैसी उनकी अभिलाषा थी, लेकिन उनका राजनीतिक कैरियर जरूर शुरुआती दौर में ही उड़ान भरने लगा है. पश्चिम बंगाल में पार्टी का आधार मजबूत करने के लिए उन्हें सरकार में शामिल किया गया है.
सुरेश प्रभु (61), महाराष्ट्र
राजापुर से 1996 से 2009 के बीच चार बार सांसद रहे, 2009 में चुनाव हार गये
अटल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे शिव सेना नेता और पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट तटीय क्षेत्र कोंकण से आते हैं. बैंकर से नेता बने प्रभु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद हैं
अटल सरकार में विद्युत मंत्रालय के कामकाज को नयी दिशा देकर वाहवाही बटोरी, नदियों को जोड़ने के लिए बने कार्यबल के अध्यक्ष थे
ब्रिस्बेन में जी-20 शिखर बैठक में प्रधानमंत्री की सहायता के लिए मोदी का ‘शेरपा’ नियुक्त किये गये हैं
व्हार्टन इंडिया इकॉनोमिक फोरम 2013 में मोदी का संबोधन रद्द किये जाने के विरोध में व्हार्टन स्कूल का दौरा रद्द कर दिया था
विश्व बैंक संसदीय नेटवर्क का सदस्य चुनने के साथ द एशिया जल सम्मेलन का अध्यक्ष भी नामित किये गये थे
वाइएस चौधरी, आंध्रप्रदेश
उद्योग जगत में कामयाब पारी के बाद राजनीति में कदम रखा, तेदेपा के लिए चंदा जुटाने में अग्रणी भूमिका निभायी. 2010 में उन्हें राज्यसभा की सीट की पेशकश की गयी
तटीय आंध्र के कृष्णा जिले तथा कम्मा समुदाय से ताल्लुक रखनेवाले चौधरी ने इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल करने के बाद पंखा बनाने का कारोबार स्थापित किया
‘सुजाना ग्रुप ऑफ कंपनीज’ की स्थापना की तथा कई क्षेत्रों में कारोबार का दायरा बढ़ाया
चौधरी के समूह में 6,000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं
बीरेंद्र सिंह (68), हरियाणा
हरियाणा के कद्दावर जाट नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह से किस्मत ने कई बार दगा किया, लेकिन इस बार वक्त मेहरबान हुआ. वह केंद्र की भाजपा की अगुवाईवाली एनडीए सरकार में मंत्री बनने में सफल रहे.
42 साल कांग्रेस में रहने के बाद आम चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए
2004 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में थे, लेकिन बाजी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ रही
2010 में मनमोहन सरकार में भी अंतिम क्षणों में मंत्रिमंडल में शामिल होने से रह गये
राजीव प्रताप रुडी (52), बिहार
बिहार की सारन सीट पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद की पत्नी राबड़ी देवी को शिकस्त दी, महाराष्ट्र की सफलता में पार्टी प्रभारी के रूप में बड़ी भूमिका अदा की
2001 में अटल सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री बने, दो साल बाद नागर विमानन मंत्रलय का स्वतंत्र प्रभार मिला
पार्टी के युवा चेहरों में प्रमुख पार्टी प्रबंधक की छवि है. राजनीति में आने से पहले कॉलेज में व्याख्याता थे और पंजाब विश्वविद्यालय में पढ़ते हुए वह छात्र राजनीति में भी सक्रिय थे
पहली बार 1990 में बिहार विधानसभा के लिए चुने गये
1996 और 1999 में लोकसभा के लिए चुने गये
विजय सांपला (53), पंजाब
मैट्रिक पास, संघर्षपूर्ण जीवन, खाड़ी देश में प्लंबर की नौकरी की, अब पंजाब में अपना कारोबार
पंजाब विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति को आकर्षित करने के लिए मंत्रिमंडल में शामिल किये गये हैं
अकाली दल की हरसिमरत कौर के बाद मंत्रिमंडल में दूसरे मंत्री होंगे
पंजाब की होशियारपुर लोकसभा से चुनाव जीते
राजनीतिक की सरपंच चुने जाने के बाद हुई. राज्य भाजपा में कई पदों पर रहे
हंसराज अहिर (60), महाराष्ट्र
पेशे से किसान अहिर ने कोयला खदान आवंटन में अनियमितताओं का सबसे पहले खुलासा किया और संसद में इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया
1996 में लोकसभा पहुंचे
स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने सांसदों के लिए ‘आदर्श’ कहा था
रमाशंकर कठेरिया, यूपी
आगरा (सु) क्षेत्र से दूसरी बार जीते
लोकसभा के पहले कार्यकाल में शहरी विकास, याचिका समिति तथा ग्रामीण विकास पर परामर्श समिति में शामिल रहे
कई किताबें लिख चुके हैं, उनके मंत्री बनने से भाजपा को यूपी व पंजाब में फायदा होगा
मुख्तार अब्बास नकवी (57), यूपी
भाजपा के प्रमुख मुसलिम चेहरा और पार्टी के उपाध्यक्ष, लंबे समय तक पार्टी के प्रवक्ता रहे
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सूचना, प्रसारण राज्य मंत्री रहे
अल्पसंख्यकों पर पार्टी के दृष्टिकोण की व्याख्या में पार्टी ने नकवी की सेवाएं लीं
संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण समितियों के सदस्य रहे
लोकसभा चुनाव में भाजपा के चुनावी प्रबंध में शामिल रहे नकवी ने हरियाणा और महाराष्ट्र के हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में भी धुआंधार प्रचार किया
कानून के छात्र रहे नकवी ने 1980 में जनता पार्टी सेक्युलर (राज नारायण) के टिकट पर इलाहाबाद पश्चिम से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा और 1989 में अयोध्या से निर्दलीय प्रत्याशी बने
1998 में भाजपा के टिकट पर यूपी की रामपुर लोकसभा सीट से संसद पहुंचे
अच्छे लेखक भी हैं. स्याह (1991), दंगा (1998) और वैशाली (2007) उनकी तीन किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं
गिरिराज सिंह (62), बिहार
मोदी के प्रति वफादार, भूमिहार समुदाय के तेज-तर्रार नेता. विवादास्पद बयान से पार्टी को उलझन में डालते रहते हैं
मोदी से कथित शत्रु भाव रखनेवाले तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से टकराव मोल लेते रहे हैं
विधान परिषद सदस्य रहे सिंह की कृषि और पशुपालन में विशेष रुचि
आम चुनावों में यह कह कर पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी थी कि मोदी से नाखुश मुसलमानों को पाकिस्तान चले जाना चाहिए
राम कृपाल यादव (57), बिहार
लालू प्रसाद के अच्छे-बुरे दौर और सुख-दुख के साथी राजद प्रमुख के ‘हनुमान’ कहलाते थे
आम चुनाव से पहले पाटलिपुत्र सीट के लिए बगावत कर लालू की बेटी मीसा भारती को पराजित किया
चौथी बार सांसद बने रामकृपाल को लालू ने कभी मंत्री नहीं बनाया. न बिहार में, न केंद्र में जब यूपीए सरकार में राजद कोटे के आधा दर्जन मंत्री थे
जमीनी स्तर से उठे रामकृपाल 1992-93 में पटना नगर निगम में उप मेयर रहे
1993-96 में बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे
पिता के निधन के कारण रामकृपाल यादव का बचपन काफी मुश्किलों भरा रहा
मगध विश्वविद्यालय से स्नातक होने के साथ एलएलबी डिग्रीधारी हैं
महेश शर्मा (55), उत्तर प्रदेश
कैलाश हेल्थकेयर लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक गौतम बुद्धनगर लोकसभा सीट से जीते
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण से जुड़ी संसदीय समिति के सदस्य बचपन से आरएसएस के अनुयायी रहे
एमिटी विवि से डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित, अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले
साध्वी निरंजन, उत्तर प्रदेश
धार्मिक प्रचवन के लिए जानी जाती हैं, यूपी में दलित और पिछड़े वर्ग में पार्टी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभायी
फतेहपुर सीट से जीतीं हैं
माना गया कि उनकी उम्मीदवारी से भाजपा को कश्यप और निषाद समुदायों का समर्थन मिला