जानें नरेंद्र को इतना क्यों भाते हैं मनोहर व प्रभु ?

नयी दिल्ली : मोदी कैबिनेट का बहुप्रतीक्षित पहला विस्तार सरकार बनने के पांच महीने बाद आज हो गया. मोदी ने अपने कैबिनेट में दो अहम लोगों को जगह दी. एक तो मिस्टर क्लीन की छवि रखने वाले और हमेशा बेहतर परफारमेंस करने वाले मनोहर पर्रिकर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कैबिनेट में जगह दी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 9, 2014 3:59 PM

नयी दिल्ली : मोदी कैबिनेट का बहुप्रतीक्षित पहला विस्तार सरकार बनने के पांच महीने बाद आज हो गया. मोदी ने अपने कैबिनेट में दो अहम लोगों को जगह दी. एक तो मिस्टर क्लीन की छवि रखने वाले और हमेशा बेहतर परफारमेंस करने वाले मनोहर पर्रिकर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कैबिनेट में जगह दी है और दूसरे हर प्रशासनिक माथापच्ची को सहजता से सुलझाते हुए शानदार परिणाम देने वाले सुरेश प्रभु को उन्होंने पार्टी के दायरे से बाहर जाकर अपनी कैबिनेट में जगह दी है. पर्रिकर देश के नये रक्षामंत्री होंगे. पर्रिकर भाजपा के पहले नेता हैं, जिन्होंने सालों पहले नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने की बात मीडिया में कही. एक समय वे भाजपा के अध्यक्ष बनने वाले थे. उन्हें पार्टी और मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पूरा विश्वास हासिल है.

वहीं, सुरेश प्रभु अपनी पार्टी शिवसेना के सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के कैबिनेट में शामिल नहीं होने के फैसले को धता बताते हुए कैबिनेट में शामिल हुए हैं. वे फिलहाल किसी सदन के सदस्य नहीं है और आज ही उन्होंने शिवसेना छोड़ भाजपा की सदस्यता ली है. सुरेश प्रभु को पर्रिकर के ठीक बाद दूसरे नंबर पर शपथ दिलवाया गया. यहां तक भाजपा के ताकतवर महासचिव जेपी नड्डा ने भी प्रभु के बाद ही शपथ ग्रहण किया. इससे प्रभु की मोदी की नजरों में और सरकार में अहमियत का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. प्रभु की केंद्रीय कैबिनेट में यह दूसरी पारी है. इससे पहले वे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी ऊर्जा सहित कई अन्य मंत्रलयों का कामकाज देख चुके हैं.
अपने शानदार कार्य प्रदर्शन के कारण वे वाजपेयी के भी प्रिय थे. वाजपेयी अपनी सरकार के कई जटिल मुद्दों को सुलझाने की जिम्मेवारी प्रभु को देते थे. इसमें एक सबसे अहम मुद्दा था, नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी कार्ययोजना. इसके लिए गठित कार्यबल का उन्हें वाजपेयी ने अध्यक्ष बनाया था. मोदी के लिए प्रभु के महत्व को समझते हुए ही शिवसेना प्रमुख ने उन्हें भाजपा के अपने कोटे से ही मंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया था. चर्चा है कि उन्हें सदानंद गौड़ा से रेल मंत्रलय छिन कर दिया जायेगा. देश के आधारभूत ढांचे को दुरुस्त करने के लिए रेलवे के सेक्टर में बड़े बदलाव की जरूरत है. गौड़ा पिछले पांच माह में रेलमंत्री के रूप में कोई महत्वपूर्ण छाप नहीं छोड़ सके हैं. बल्कि उल्टे वे बेटे व अपनी अचानक बढी संपत्ति को लेकर विवादों में ही आये हैं.
मनोहर पर्रिकर और सुरेश प्रभु मोदी कैबिनेट की उस अहम टीम का हिस्सा होंगे, जिसमें राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी शामिल हैं. मोदी सरकार अपने इन शीर्ष मंत्रियों की मंत्रणा से ही चलती है. अब इसमें पर्रिकर व प्रभु भी शामिल होंगे.
कामकाज का पुरस्कार भी, जातीय-वर्गीय समीकरण का ख्याल भी
मोदी ने अपने कैबिनेट में कई लोगों को शामिल कर उन्हें उनके कामकाज का इनाम दिया है. जैसे जेपी नड्डा और राजीव प्रताप रूडी ने हाल महाराष्ट्र चुनाव में अहम भूमिका पार्टी को जीत दिलाने में निभायी. ऐसे में उनका मंत्री बनाया जाना उन्हें पुरस्कृत करना है. वहीं, संगठन के प्रति हमेशा निष्ठावान रहे और अपनी महत्वाकांक्षाओं का प्रदर्शन नहीं करने वाले मुख्तार अब्बास नकवी को भी मंत्री बनाया गया है. हालांकि नकवी को उनके कद के अनुसार पद नहीं मिला. वे डेढ़ दशक पहले ही केंद्र में वाजपेयी कैबिनेट में स्वतंत्र प्रभार के मंत्री थे और इस बार उन्हें इससे भी जूनियर पद यानी राज्यमंत्री का पद मिला है.
पार्टी ने एक सांसद के रूप में शानदार काम करने वाले महाराष्ट्र के चंद्रपुर से सांसद हंसराज अहीर को भी कैबिनेट में जगह दी है. कोयला घोटाले मामले को परिणति तक पहुंचाने में उनका अहम योगदान रहा है. चौधरी वीरेंद्र सिंह व सांवर लाल जाट जैसे जाट नेताओं को मंत्री बना कर भाजपा ने इस समुदाय का स्थायी भरोसा हासिल करने की कवायद शुरू कर दी है. अबतक यह समुदाय परंपरागत रूप से स्थानीय क्षेत्रीय पार्टियों व कांग्रेस का वोटर रहा है. लेकिन अब इनका रुख भाजपा की ओर हो रहा है. इसी तरह बिहार के रामकृपाल यादव जैसे राजद से भाजपा में आये नेता को राज्यमंत्री बना कर पार्टी ने बिहार के बड़े जातीय समुदाय यादवों को भी एक तरह से यह संदेश देने की कोशिश की है कि सिर्फ लालू प्रसाद यादव ही उनके नेता नहीं हैं.
भाजपा ने उग्र हिंदुत्ववादी चेहरों बिहार के नवादा के सांसद गिरिराज सिंह व उत्तरप्रदेश के फतेहपुर की सांसद साध्वी निरंजन ज्योति को कैबिनेट में शामिल किया है. ये दोनों नेता अपने उग्र हिंदुत्व व विवादस्पद बयानों को लेकर खबरों में रहते रहे हैं. पार्टी ने कांग्रेस के बड़े नेता डॉ सीपी जोशी को जोरदार शिकस्त देने वाले शूटर राजवर्धन राठौर को भी राज्य मंत्री बनाया है. युवा राठौर पार्टी के भावी रणनीतियों के लिए अहम होंगे. तेलंगाना व आंध्रप्रदेश से भाजपा के समर्पित नेता बंडारू दत्तात्रेय को और सहयोगी पार्टी टीडीपी के वाइएस चौधरी को मंत्री बनाया गया है. वहीं, मोदी के गृह प्रदेश गुजरात से मोहन गोड़रिया को मंत्री बनाया गया है. वे राजकोट से सांसद हैं.
नरेंद्र मोदी ने अपने कैबिनेट में दलित चेहरों को प्रमुखता से उभारने की कोशिश की है. दो दलित नेताओं को मंत्री बनाया गया है. ये हैं पंजाब के होशियारपुर से सांसद विजय सांपला. 2017 के राज्य विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी उन्हें प्रमुख दलित चेहरे के रूप में राज्य में उभारना चाह रही है. उसी, तरह आगरा के सांसद रामशंकर कथेरिया को पार्टी ने मंत्री बनाया है. पार्टी ने हाइ प्रोफाइल जयंत सिन्हा को भी मंत्री बनाया है. विदेश में पढ़े-लिखे व वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा के पुत्र जयंत आर्थिक मामलों के जानकार हैं और पहली बार झारखंड के हजारीबाग से जीत कर आये हैं. इस बात की प्रबल संभावना है कि मोदी उन्हें वित्त मंत्रलय में राज्य मंत्री के रूप में अरुण जेटली का सहयोगी बना कर भेजेंगे. पार्टी ने अपने ऑपरेशन बंगाल यानी पश्चिम बंगाल में अगले विधानसभा चुनाव में जीत की रणनीति के तहत आसनसोल के सांसद व गायक बाबुल सुप्रियो को मंत्री बनाया है. अगर पश्चिम बंगाल में भाजपा का राजनीतिक कद बढ़ेगा तो सुप्रियो बड़े नेता के रूप में उभर सकते हैं.

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