ऑफिस में घंटों बैठकर काम करने वालों को मधुमेह का खतरा
नयी दिल्ली: खाने पीने की अनियमित आदतों और कंप्यूटर के सामने या फिर दफ्तर में लंबे समय तक एक ही स्थान पर बैठे रहने की वजह से देश में मधुमेह के रोगियों की संख्या बढती जा रही है. वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के इस संबंध में किये गये सर्वेक्षण के अनुसार इस समय जहां […]
नयी दिल्ली: खाने पीने की अनियमित आदतों और कंप्यूटर के सामने या फिर दफ्तर में लंबे समय तक एक ही स्थान पर बैठे रहने की वजह से देश में मधुमेह के रोगियों की संख्या बढती जा रही है. वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के इस संबंध में किये गये सर्वेक्षण के अनुसार इस समय जहां करीब सात करोड भारतीय इस बीमारी के शिकार है वहीं वर्ष 2035 तक यह संख्या 12.5 करोड तक पहुंच जाने का अनुमान है.
उद्योग मंडल ने यह सर्वेक्षण विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर किया है. विश्व मधुमेह दिवस 14 नवंबर को मनाया जाता है. इसमें जो तथ्य सामने आये हैं उसके अनुसार फास्ट फूड के बढते चलन, तली और तेल-घी का अधिक सेवन, कंप्यूटर के सामने घंटो बैठे रहने, दफ्तरों कार्यालयों में एक ही स्थान पर लंबे समय तक बैठे रहने और जैसी जीवनशैली से मधुमेह का रोग बढता जा रहा है.
एसोचैम स्वास्थ्य समिति के इस सर्वेक्षण के अनुसार 2006 में देश में जहां ढाई करोड मधुमेह के रोगी थी वहीं इनकी संख्या इस समय 2014 में 6.80 करोड तक पहुंच गई है और 2035 तक इसके 12.50 करोड तक पहुंच जाने का अनुमान है. स्थिति यह हो गई है कि अब ग्रामीण इलाकों में ज्यादा से ज्यादा लोग मधुमेह के शिकार हो रहे हैं. पुरषों के मुकाबले महिलाओं में यह बीमारी ज्यादा तेजी से बढ रही है.
दिल्ली में मधुमेह रोगियों की संख्या सबसे अधिक 42.5 प्रतिशत तक है. मुंबई के मामले में यह संख्या 38.5 प्रतिशत, अहमदाबाद में 36 प्रतिशत, बैंगलूर में 26.5 प्रतिशत और चेन्नई में 24.5 प्रतिशत जनसंख्या मधुमेह यानी डायबिटीज की समस्या से पीडित हैं. हैदराबाद और कोलकाता में यह संख्या क्रमश: 22.6 प्रतिशत और 19.7 प्रतिशत है.