मुंबईः महाराष्ट्र में शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी को चेतावनी देते हुए कहा , अगर भाजपा हिंदुत्व विरोधी ताकतों से हाथ मिलायेगी और महाराष्ट्र को तोड़ने वालों का साथ देगी, तो हम विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे. हम स्थिर सरकार चाहते है इसका मतलब यह नहीं कि हम किसी का भी साथ दें. उक्त बातें शिवेसना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शिवसेना भवन में हुई बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेस में कही, शिवसेना के लिए यह बैठक काफी महत्वपूर्ण थी.
इस बैठक के बाद शिवेसना ने एक दांव खेला है. शिवसेना ने स्पष्ट कर दिया कि अगर भाजपा एनसीपी के साथ जाती है तो वह इसके विरोध में खड़ी है. इस बैठकमें शिवसेना ने एक अहम फैसला भी लिया, इसमें एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुना. इस फैसले के जरिये शिवेसना ने भाजपा पर दबाव बनााने की कोशिश की है.
बैठक के बाद उद्धव ने कहा , पार्टी ने फैसला लिया है कि वह हिंदूत्व विरोधी ताकतों का साथ नहीं देगी और अगर भाजपा राकपा का साथ लेगी तो समर्थन नहीं देगी और सरकार में शामिल नहीं होगी.उद्धव ने कहा कि यदि सबकुछ सही रहा होता तो अनिल देसाई ने आज केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शपथ ले ली होती.
महाराष्ट्र की जनता ने हमें एक उम्मीद के साथ चुना है. उन सारी उम्मीदों के साथ हम न्याय करेंगे. आपकी आंखों के सामने सारी चीजें हो रही है. हमें सरकार बनाने की जल्दी नहीं हम हमेशा से एकला चलो रे की नीति अपनाते आये हैं और आगे भी जा सकते हैं.
हमारा प्रयास था कि हिंदूवादी ताकतें कमजोर ना हो लेकिन शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने भाजपा को समर्थन दिया है. ऐसे में हम उनके साथ नहीं जायेंगे. भारतीय जनता पार्टी अगर राकपा का समर्थन ले रही है तो शिवसेना विपक्ष में बैठेगी. जिन्होंने भगवा आतंकवाद जैसे शब्द का इस्तेमाल किया उनके साथ शिवसेना नहीं जाना चाहती . हम महाराष्ट्र में स्थिर सरकार चाहते हैं लेकिन हम इसके लिए किसी के साथ भी नहीं जा सकते. उद्धव ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर भी हमला बोला उन्होंने कहा, पवार ने यह आरएसएस पर हमला बोला है और भगवा आतंकवाद जैसे शब्द का इस्तेमाल किया.
शिवसेना खाते से कैबिनेट मंत्री अंनत गीते के इस्तीफे पर उद्धव ने कहा , इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है पार्टी जल्द ही फैसला करेगी.सुरेश प्रभु के भाजपा में शामिल होने पर उद्धव ने कहा यह बेहद दुखद है. यह दुर्भाग्य की बात है वह भाजपा में शामिल हो गये. सुरेश की अच्छी छवि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान इंडस्ट्री ,पयार्वरण, और ऊर्जा मंत्रालयों में मंत्री के रूप में काम का तजुर्बा. आर्थिक विषयों के एक्सपर्ट. ऊर्जा मंत्री रहते हुए प्रभु उर्जा क्षेत्र के निजीकरण के हिमायती रहे हैं.
इससे पहले खबरें आ रही थी कि पार्टी भाजपा को समर्थन दे सकती है लेकिन बैठक के बाद फैसला लिया गया किसी पार्टी का समर्थन नहीं करेगी. शिवसेना और भाजपा के बीच विधानसभा चुनाव में सीट के बंटवारे को लेकर विवाद शुरू हुआ जिसके बाद भाजपा और शिवसेना का 25 साल पुराना रिश्ता खत्म हो गया. हालांकि कयास लगाये जा रहे थे कि महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा मिलकर सरकार बनायेगी लेकिन दोनों पार्टियों में से किसी ने पहल नहीं की. मोदी ने जब आज अपने कैबिनेट का विस्तार करने का फैसला लिया तो शिवसेना ने विस्तार का बहिष्कार भी किया.