बिलासपुर :छत्तीसगढ के बिलासपुर जिले में नसबंदी के बाद आठ महिलाओं की मौत हो गई है जबकि 32 महिलाओं की हालत गंभीर बताई जा रही है जिन्हें अस्पताल में इलाज के लिए भरती कराया गया है. राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने घटना के जांच के आदेश दे दिए हैं वहीं मृतक के परिजनों को दो दो लाख मुआवजे की घोषणा की है.
इससे पहले बिलासपुर जिले के पुलिस अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि जिले के सकरी गांव में लगे शासकीय स्वास्थ्य शिविर में नसबंदी के बाद दो महिलाओं जानकी बाई (26 वर्ष) और दीप्ती यादव (27 वर्ष) की मौत हो गई है.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दोनों महिलाओं ने शनिवार को बिलासपुर के करीब सकरी गांव में एक निजी अस्पताल में लगे शासकीय स्वास्थ्य शिविर में ऑपरेशन कराया था. इस शिविर में तखतपुर ब्लॉक व आसपास के गावों की 83 महिलाओं ने नसबंदी कराई थी.
शवों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण हाइपोवॉलूमिक शॉक या सेप्टिक बताया जा रहा है. जिला प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. जिला अस्पताल के सिविल सर्जन बी. आर. नंदा ने बताया कि बिलासपुर से लगे सकरी गांव में नेमीचंद जैन कैंसर रिसर्च सेंटर में शनिवार को स्वास्थ्य विभाग ने नसबंदी शिविर का आयोजन किया था.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी आर के भांगे, डाक्टर प्रमोद तिवारी तथा वरिष्ठ सर्जन डाक्टर आर के गुप्ता सहित अनेक चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की वहां डय़ूटी लगाई गई थी.
इस शिविर में 83 महिलाओं की नसबंदी का ऑपरेशन किया गया था. ऑपरेशन के बाद सभी को देर रात तक उचित दवायें देकर छुट्टी दे दी गई थी. घर पहुंचने के बाद अधिकांश महिलाओं को उल्टी आदि की शिकायत होने लगी. रविवार देर रात तीन बजे चकरभाटा क्षेत्र के चिचिरदा गांव के विद्यासागर सूर्यवंशी की पत्नी जानकी बाई (26) को गंभीर अवस्था में बिलासपुर के जिला अस्पताल लाया गया.
जानकी की इलाज के दौरान सोमवार सुबह आठ बजे मौत हो गई. इधर जिला अस्पताल में नसबंदी के बाद बीमार हुई महिलाओं के आने का सिलसिला शुरु हो गया. सभी को उल्टी की शिकायत थी. शाम तक 83 में से 29 महिलाएं जिला अस्पताल पहुंच चुकी थी जिनमें से दो की मौत हो गई है. दूसरी महिला की मौत सोमवार की शाम पांच बजे हुई. मृत महिला दीप्ती यादव :27 वर्ष: तखतपुर के डिगोरा गांव की है.
जिला अस्पताल में मौजूद उप संचालक, स्वास्थ्य सेवा डाक्टर अमर सिंह ने बताया कि दोनों महिलाओं की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार नसबंदी का ऑपरेशन तो ठीकठाक किया गया है. नसबंदी के 48 घंटे बाद मौत हाइपोवॉलूमिक शॉक या सेप्टिक के कारण हो सकती है. विस्तृत पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत के कारणों की पुष्टि हो सकेगी.
जिलाधिकारी सिद्घार्थ कोमल सिंह परदेशी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएमएचओ और संयुक्त कलेक्टर को जांच के आदेश दे दिए हैं.