शिवराज के ट्विट से उठे सवाल, क्या उनके व मोदी के बीच अब भी कुछ चल रहा है?
नयी दिल्ली : मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने एक ट्विट को लेकर विवादों में घिर गये हैं. इस ट्विट में उन्होंने शिवसेना से भाजपा में आये सुरेश प्रभु पर तंज कसते हुए कहा कि पीएम की भक्ति करके प्रभु को सरकार में मंत्री पद मिला. शिवराज ने नौ नवंबर को ट्विट किया मुङो […]
नयी दिल्ली : मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने एक ट्विट को लेकर विवादों में घिर गये हैं. इस ट्विट में उन्होंने शिवसेना से भाजपा में आये सुरेश प्रभु पर तंज कसते हुए कहा कि पीएम की भक्ति करके प्रभु को सरकार में मंत्री पद मिला.
शिवराज ने नौ नवंबर को ट्विट किया मुङो आपको ये कहना अच्छा लगा कि पीएम का सपना देश का सपना है. वो जरूर आपकी भक्ति से प्रभावित होंगे. आपकी जगह बनती जाएगी.
हालांकि इस ट्विट पर शिवराज दोबार ट्विर कर सफाई दी और लिखा कि उनका ट्विटर एकाउंट 15 सेकेंड के लिए हैक कर लिया गया था, जिससे गलत ट्विट किया गया. लेकिन अब सब ठीक है और अकाउंट नियंत्रण में हैं.
It appears miscreants had briefly hacked my account & had send out mischievous tweets, we have taken back the control and are back on track.
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 10, 2014
शिवराज सिंह चौहान भाजपा के कद्दावर नेता हैं और नरेंद्र मोदी के बाद वे भाजपा के दूसरे मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें पार्टी की सबसे ताकतवर इकाई संसदीय बोर्ड कस सदस्य बनने का मौका मिला.
शिवराज फिलहाल भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य हैं और पार्टी के हर अहम फैसले में वे तकनीकी रूप से अन्य दूसरे शीर्ष नेताओं की तरह बराबर के जिम्मेवार हैं. जब भाजपा के प्रधानमंत्री पद के अगले उम्मीदवार को लेकर संशय कायम था, तब लालकृष्ण आडवाणी ने उनका नाम आगे करने की कोशिश की.
गुजरात विधानसभा के विजय रथ पर सवार मोदी को रोकने के लिए शिवराज ही उस समय पार्टी के मोदी विरोधी धडे को सर्वाधिक कारगर लगे. शिवराज के पास सरकार के स्तर पर बेहतर परफारमेंस का तो रिकार्ड था ही, साथ ही उनके पास मध्यप्रदेश में लोकसभा व विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक सीटें जितने का भी श्रेय भी था. सीटों को जितने का उनका प्रतिशत मोदी के अपने राज्य गुजरात से भी अधिक था. शिवराज को लेकर आडवाणी का गहरा आग्रह तब दिखा, जब उन्होंने खुद गांधीनगर नहीं भोपाल से लोकसभा चुनाव लडने की इच्छा प्रकट कर दी. विेषकों का कहना था कि आडवाणी को मोदी की तीखी आलोचना के कारण यह भय हो गया था कि वे गांधीनगर सीट से रहस्यमय तरीके से हार भी सकते हैं.
जब मोदी को नेतृत्व देने के सवाल पर भाजपा के अंदर जद्दोजहद चल रही थी, उसी दौरान चौहान का एक बयान था, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे लोकसभा चुनाव में पार्टी की झोली में सर्वाधिक सीटें जीत कर देंगे. भोपाल पहुंचे फिल्म अभिनेता रजा मुराद ने शिवराज की मौजूदगी वाले मंच पर उनकी तारीफ और नरेंद्र मोदी की आलोचना की थी. नेतृत्व के सवाल पर शिवराज का दुख एक बार उनके इस बयान में दिखा था कि पार्टी के नंबर वन मुख्यमंत्री मोदी जी हैं, नंबर दो डॉ रमन सिंह है और उनका स्थान तो तीसरा है.
बहरहाल, लोकसभा चुनाव में विजय के बाद नरेंद्र मोदी निर्विवाद रूप से भाजपा के शीर्ष नेता हो गये हैं. उनके नेतृत्व व प्राधिकार को चुनौती देने का साहस चुनाव परिणाम के बाद किसी में नहीं है. चुनाव परिणाम से पूर्व राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज व शिवराज सिंह चौहान ऐसे नेता माने जाते थे, जो मोदी को चुनौती दे सकते हैं. पर, इन पुराने सच के कारण अब भी यह सवाल उठ ही जाता है कि क्या मोदी व शिवराज के बीच कुछ चल रहा है.