खेतिहर मजदूर को लुभाने में जुटी उप्र सरकार

लखनऊः आगामी लोकसभा चुनावों के पहले सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों और खेतिहर मजदूरों को लुभाने में जुट गई है. इसके तहत पहले तो सरकार ने ‍कृषि उपकरणों पर 50 प्रतिशत की छूट देने का संकेत दिया और बुधवार को खेतिहर मजदूरों की मजदूरी की दर में 17 रुपये का इजाफा कर दिया. अब सूबे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:51 PM

लखनऊः आगामी लोकसभा चुनावों के पहले सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों और खेतिहर मजदूरों को लुभाने में जुट गई है. इसके तहत पहले तो सरकार ने ‍कृषि उपकरणों पर 50 प्रतिशत की छूट देने का संकेत दिया और बुधवार को खेतिहर मजदूरों की मजदूरी की दर में 17 रुपये का इजाफा कर दिया. अब सूबे में खेतिहर मजदूरों की मजदूरी 142 रुपये प्रतिदिन यानि मनरेगा के तहत दी जाने वाली मजदूरी के बराबर होगी. सरकार के इस फैसले से सूबे के दो करोड़ से अधिक खेतिहर मजदूरों का लाभ होगा.

विपक्षी दलों ने सरकार के इस फैसले को मतदाताओं को लुभाने की कवायद बताया है. वही सपा प्रवक्ता और सूबे के कारागार मंत्री राजेन्द्र चौधरी कहते हैं कि प्रदेश सरकार अपने वोट बढ़ाने के दृष्टिकोण से फैसले नहीं लेती बल्कि समाज की जरूरतों के हिसाब से फैसले लेती है.
राज्य में मनरेगा योजना में मजदूरी करने वालों को 142 रुपये प्रतिदिन ‍मिल रहे हैं. जबकि खेतिहर मजदूरों को 125 रुपये मजदूरी मिल रही थी. उत्तर प्रदेश न्यूनतम मजदूरी सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष प्रदीप यादव ने कुछ माह पूर्व खेतिहर मजदूरों को कम मजदूरी मिलने संबंधी प्रकरण मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समक्ष उठाया. जिस पर मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव श्रम शैलेष कृष्ण को खेतिहर मजदूरों की मजदूरी दरों में इजाफा करने संबंधी प्रस्ताव तैयार कर उसे मुख्यमंत्री सचिवालय भेजने का निर्देश दिया.
सुत्रों के अनुसार प्रमुख सचिव श्रम ने खेतिहर मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी दर 182 रुपये प्रतिदिन करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री सचिवालय भेजा. इस प्रस्ताव पर विधिक राय लेने के दौरान अधिकारियों ने खेतिहर मजदूरों की मजदूरी दर 182 रुपये प्रतिदिन तय करने पर आपत्ति की. अधिकारियों का तर्क था कि मनरेगा में कार्य करने वालों को प्रतिदिन 142 रुपये दिए जाते है, ऐसे में यदि खेतीहर मजदूरों की मजदूरी दर 182 रुपये प्रतिदिन की गई तो इसका असर मनरेगा पर पडे़गा. ऐसा होने पर केंद्र के साथ प्रदेश सरकार के रिश्ते खराब होंने का खतरा उत्पन्न होगा क्योंकि मनरेगा में कम मजदूरी मिलने के चलते लोग काम करने नहीं जाएंगे. ऐसी स्थिति से बचने के लिए मुख्यमंत्री ने खेतीहर मजदूरों की मजदूरी दर 142 रुपये प्रतिदिन करने का निर्णय लिया. सरकार के इस निर्णय से अब खेती, वन, दुग्ध, पशुपालन तथा बागवानी जैसे कार्य करने वाले मजदूरों को प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी के रूप में 142 रुपये प्राप्त होंगे.
खेतीहर मजदूरों की मजदूरी दर में इजाफा करवाने की कवायद से जुड़े उत्तर प्रदेश न्यूनतम मजदूरी सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष प्रदीप यादव कहते हैं कि सरकार मजदूरों के हित में जो अधिकतम संभव होगा वह सब करेगी. इस फैसले से खेतीहर मजदूरों को उनकी मेहनत का मूल्य मिलेगा वह भी उनके ही रहने के ठिकाने के समीप. फिलहाल प्रदीप यादव चाहे जो भी कहें विपक्षी दलों का कहना है कि सूबे के वोटरों को लुभाने के लिए सरकार जैसे बेरोजगारी भत्ता और छात्रों को मुफ्त लैपटाप दे रही है, उसी क्रम में अब खेतीहर मजदूरों की मजदूरी दर में इजाफा करने का निर्णय लिया गया है.
।।राजेन्द्र कुमार।।

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