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नसबंदी के बाद मृतकों की संख्या 13 हुई, SC का स्वत: संज्ञान लेने से इनकार

रायपुर : छत्तीसगढ के बिलासपुर जिले में सरकार द्वारा संचालित एक शिविर में नसबंदी के बाद मरने वाली महिलाओं की संख्‍या 13 हो गई है जबकि 47 अभी भी गंभीर अवस्था में अस्पताल में भरती हैं. इस मामले में सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए चार चिकित्सकों को निलंबित कर दिया है जबकि स्वास्थ्य सेवा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 12, 2014 10:17 AM

रायपुर : छत्तीसगढ के बिलासपुर जिले में सरकार द्वारा संचालित एक शिविर में नसबंदी के बाद मरने वाली महिलाओं की संख्‍या 13 हो गई है जबकि 47 अभी भी गंभीर अवस्था में अस्पताल में भरती हैं. इस मामले में सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए चार चिकित्सकों को निलंबित कर दिया है जबकि स्वास्थ्य सेवा निदेशक का स्थानांतरण किया गया है.

वहीं उच्चतम न्यायालय ने आज छत्तीसगढ में नसबंदी के बाद हुई मौतों की खबरों पर स्वत: संज्ञान लेने से किया इनकार किया है. न्यायालय ने कहा, उचित तरीके से याचिका दाखिल की जानी चाहिए थी.

प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक अधिवक्ता द्वारा संबंधित मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की अपील किए जाने पर कहा, ‘‘ मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के समक्ष यह मामला उठाया है. हम इसका स्वत: संज्ञान नहीं ले सकते.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ समाचारपत्र के बजाय , आपको उचित रुप से एक याचिका दाखिल करनी चाहिए थी.’’ इस पीठ में न्यायामूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायामूर्ति ए के सिकरी भी शामिल हैं.

छत्तीसगढ सरकार के अनुरोध पर दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान (एम्स) के चार चिकित्सकों के एक दल को पीडित महिलाओं के उपचार के लिए एक विशेष विमान से बिलासपुर भेजा गया. राज्य सरकार की ओर से मृतकों को चार-चार लाख मुआवजे का एलान किया गया है.

आज छत्तीसगढ़ बंद

शिविर में नसबंदी के बाद महिलाओं की मृत्यु के मामले को विपक्ष ने आड़े हाथ लेते हुए आज राज्यव्यापी बंद बुलाया है. कांग्रेस ने फौरन मुख्‍यमंत्री रमन सिंह और स्वस्थ मंत्री अमर अग्रवाल के इस्तीफे की मांग की है. कांग्रेस ने कहा कि रमन सिंह सरकार ने पुरानी घटनाओं से सबक नहीं लिया और फिर एक बड़ी घटना का सामने आना यह दर्शाता है कि सरकार जान बूझकर राज्य की जनता के साथ खिलवाड़ कर रही है.

जान गंवाने वाली सभी महिलाओं की उम्र 32 साल से कम

बिलासपुर जिले के कलेक्टर सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने बताया कि जिले के सकरी (पेंडारी) गांव में शनिवार को एक निजी अस्पताल में शासकीय परिवार कल्याण स्वास्थ्य शिविर में 83 महिलाओं का आपरेशन किया गया था. बाद में 60 महिलाओं ने उल्टी और सिरदर्द की शिकायत की तब उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया. उन्होंने बताया कि अभी तक इस घटना में 11 महिलाओं की मौत हो गई है. जान गंवाने वाली सभी महिलाओं की उम्र 32 साल से कम है.

पीएम ने रमन सिंह को जांच और कार्रवाई करने को कहा

बिलासपुर में नसबंदी के दौरान महिलाओं की मौत के मामलों पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री रमन सिंह से पूरे मामले में विस्तृत जांच कर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जो 10 दिन की तीन देशों की विदेश यात्रा पर हैं, इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे पर म्यांमार से छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री रमन सिंह से बात की और इस घटना के बारे में जानकारी हासिल की. उन्होंने सिंह से इस संबंध में गहन जांच और कार्रवाई करने को कहा. प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर बताया, ‘‘प्रधानमंत्री ने बिलासपुर की दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह से बात की. प्रधानमंत्री ने दुखद घटना पर चिंता प्रकट की.’’

मुख्‍यमंत्री की कार्रवाई

मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य शासन ने स्वास्थ्य सेवा निदेशक डाक्टर कमलप्रीत को हटा दिया तथा इस मामले में लापरवाही बरतने के कारण स्वास्थ्य विभाग के चार अधिकारियों परिवार कल्याण कार्यक्रम के राज्य समन्वयक डाक्टर के. सी. ओराम, बिलासपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाक्टर एस. सी. भांगे, तखतपुर के खंड चिकित्सा अधिकारी डाक्टर प्रमोद तिवारी और एक सरकारी सर्जन डाक्टर आर. के. गुप्ता को निलंबित कर दिया. रमन सिंह ने नेमीचंद जैन कैंसर एंड रिसर्च सेंटर में जिस सर्जन के अधीक्षण में यह शिविर आयोजित किया गया उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. इस शिविर में 83 महिलाओं की सर्जरी की गयी थी. उन्होंने कहा, ‘‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि यह घटना लापरवाही (चिकित्सकों द्वारा) से हुई. एक विस्तृत जांच की जा रही है जिसमें दवाओं की गुणवत्ता, सर्जरी का मानक, आपरेशन के बाद के उपाय सहित सभी कोणों को ध्यान में रखा जायेगा.’’मुख्यमंत्री ने कहा कि घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. इस बीच विपक्षी कांग्रेस ने इस घटना के विरोध में कल छत्तीसगढ बंद का आह्वान किया है.

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