फडणवीस सरकार के विश्वासमत पर शिवसेना और कांग्रेस ने उठाये सवाल, विरोध जारी

मुंबई : महाराष्ट्र विधानसभा में राज्य की देवेंद्र फडणवीस सरकार के लिए विश्वास मत हासिल करना महज औपचारिकता भर था. अब जब भाजपा ने शिवसेना के बिना विश्वासमत हासिल कर लिया है तो इसके साथ ही दोनों दलों के रिश्तों पर स्थायी विराम लग गया है. एनसीपी के भाजपा के करीब आना और शिवसेना के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 12, 2014 1:07 PM
मुंबई : महाराष्ट्र विधानसभा में राज्य की देवेंद्र फडणवीस सरकार के लिए विश्वास मत हासिल करना महज औपचारिकता भर था. अब जब भाजपा ने शिवसेना के बिना विश्वासमत हासिल कर लिया है तो इसके साथ ही दोनों दलों के रिश्तों पर स्थायी विराम लग गया है. एनसीपी के भाजपा के करीब आना और शिवसेना के भडकाऊ संपादकीय व अहम मंत्रालय मांगना दोनों के रिश्तों के टूटने के प्रमुख कारण हैं. अब भाजपा के विश्वासमत पर शिवसेना और कांग्रेस सवाल खड़े कर रही है.
शिवसेना ने राज्यपाल की गाड़ी को रोक दिया है. शिवसेना के कई बड़े नेता इस विरोध में शामिल है. दोनों ही पार्टियां आरोप लगा रही है कि जिस तरह से विश्वामत हासिल किया गया है वह असवैधानिक है. आज राज्यपाल का अभिभाषण होना है जिसके बाद कामकाज शुरू हो पायेगा. लेकिन लगभग 20 मीनट तक राज्यपाल की गाड़ी को रोक कर रखा गया
शिवसेना और कांग्रेस का कहना है कि विश्वासमत ध्वनिमत से पारित नहीं किया जाना चाहिए. दोनों ही पार्टियों ने आज के दिन को काला दिन बताया है. पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान ने कहा, भाजपा को पुनः बहुमत साबित करनी चाहिए. वहीं उद्धव ठाकरे नेता विपक्ष की अपनी मांग कर रहे हैं.
288 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भाजपा के पास अपनी 121 सीटें हैं. भाजपा के एक विधायक की मौत के कारण विधानसभा में एक सीट कम है. भाजपा ने आज एनसीपी के 41 विधायकों की अनुपस्थिति में ध्वनिमत से विश्वास मत हासिल किया. एनसीपी के सदन से बाहर रहने के बाद सदन में विधायकों की संख्या 246 बची. पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष चुन लिये जाने के कारण मतदान या ध्वनि प्रस्ताव के पक्ष या विपक्ष में समर्थन करने वालों की संख्या 245 बचती है. इस संख्या में विश्वास मत हासिल करने के लिए मात्र 123 विधायकों की जरूरत थी. यह संख्या भाजपा के अपने, मनसे व अन्य छोटे दलों व निर्दलीयों के समर्थन से हासिल हो जाता है.
भाजपा के द्वारा सदन में विश्वास प्रस्ताव रखे जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने प्रस्ताव के पक्ष व विपक्ष में लोगों से ध्वनिमत से हां या न पूछा.समर्थन में अधिक संख्या में लोगों द्वारा हाथ उठाये जाने के कारण विस अध्यक्ष ने प्रस्ताव को पास घोषित कर दिया. हालांकि, इसके बाद शिवसेना विधायक वेल में पहुंच गये और स्पीकर के पास अपनी नाराजगी प्रकट करने लगे.
सदन में भाजपा की राह नहीं होगी आसान
लेकिन, शिवसेना के मुखपत्र सामना में जिस तरह का संपादकीय आज लिखा गया है, उससे स्पष्ट है कि भाजपा के विश्वास मत हासिल करने के बावजूद सदन में उसकी राह आसान नहीं होगी. मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में शिवसेना भाजपा को एनसीपी से उसकी नयी दोस्ती पर घेरेगी. सामना में एनसीपी को महाराष्ट्र का खजाना खुतरने वाला चूहा बताया गया है.
बहरहाल, भाजपा और शिवसेना के बीच बनते नये रिश्तों से यह कयास भी शुरू हो गया कि क्या एनसीपी भविष्य में सरकार में भी शामिल होगी? क्योंकि मजबूती से सरकार को चलाने और फैसले लेने के लिए फडणवीस को स्पष्ट बहुमत की स्थायी जरूरत है. अगर एनसीपी को सरकार में शामिल नहीं किया जाता है तो उसका बाहर से भाजपा को स्थायी समर्थन चाहिए होगा. गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के शीर्ष नेता नरेंद्र मोदी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार को ही निशाने पर रखा था.

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