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”गो बैक गवर्नर” के नारे से राज्यपाल का विरोध, कांग्रेस के पांच विधायक सस्पेंड

मुंबई: महाराष्ट्र में देवेन्द्र फड़नवीस की अगुआइ वाली बीजेपी सरकार के विश्वास मत हासिल करने के बाद राज्य के शिवसेना और कांग्रेसी विधायकों ने महाराष्ट्र विधायिका के संयुक्त सत्र में राज्यपाल सी. विद्यासागर राव के अभिभाषण को बाधित किया और 13 दिन पुरानी भाजपा सरकार द्वारा विश्वास मत हासिल करने के तरीके पर विरोध जताया. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 12, 2014 8:55 PM

मुंबई: महाराष्ट्र में देवेन्द्र फड़नवीस की अगुआइ वाली बीजेपी सरकार के विश्वास मत हासिल करने के बाद राज्य के शिवसेना और कांग्रेसी विधायकों ने महाराष्ट्र विधायिका के संयुक्त सत्र में राज्यपाल सी. विद्यासागर राव के अभिभाषण को बाधित किया और 13 दिन पुरानी भाजपा सरकार द्वारा विश्वास मत हासिल करने के तरीके पर विरोध जताया.

राज्यपाल के अभिभाषण शुरु करते ही कांग्रेस के विधायकों ने सरकार एवं राज्यपाल के विरुद्ध ‘दादागिरी नहीं चलेगी’ और ‘गवर्नर गो बैक’ जैसे नारे लगाए. राव के अभिभाषण पूरा करने से पहले ही कांग्रेस विधायक बहिर्गमन कर गये. राज्यपाल पद की गरिमा के विरुद्ध आचरण के कारण के कारण कांग्रेस के पांच विधायकों को सस्पेंड कर दिया गया.

राज्यपाल के विरुद्ध कांग्रेसी नेताओं के इस स्तर के विरोध और प्रदर्शन के ठीक पहले शिवसेना के विधायकों ने भी अभिभाषण देने जा रहे राज्यपाल को विधान भवन में प्रवेश करने से रोकने का प्रयास किया था और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा था जिसमें आज दिन में भाजपा सरकार द्वारा विश्वास मत हासिल के तरीके की शिकायत करते हुए उसे असंवैधानिक बताया गया था.

इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण सहित कांग्रेस के कई विधायक भी विधानभवन इमारत की सीढियों पर धरना देकर बैठ गये और राज्यपाल के प्रवेश को बाधित किया. महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख माणिकराव ठाकरे ने विधानभवन के बाहर कहा कि आज विश्वास मत के दौरान मत विभाजन नहीं हुआ और यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा सरकार ने राज्यपाल के विश्वास मत हासिल करने के निर्देश का उल्लंघन किया है.

प्रदेश कांग्रेस ने विश्वासमत के फौरन बाद राज्यपाल को एक पत्र भेजकर उनसे संयुक्त सत्र में अभिभाषण नहीं देने का अनुरोध किया था.

गौरतलब है कि देवेन्द्र फडणवीस के नेतृत्व में राज्य की भाजपा सरकार ने विधानसभा में आज ध्वनिमत से विश्वास मत हासिल कर लिया लेकिन विश्वास प्रस्ताव के दौरान मत विभाजन नहीं कराये जाने का शिवसेना एवं कांग्रेस ने कड़ा विरोध करते हुए इन घटनाओं को अंजाम दिया.

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