कैसे बचें डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारी से ?

नयी दिल्ली: मधुमेह रोगियों की संख्या भारत में बहुत तेजी से बढ़ रही है. लोगों की जीवन शैली और रहन सहन में भारी बदलाव हो रहा है जिसका असर उनके शरीर पर पड़ रहा है. काम के तनाव और भागदौड भरी जिंदगी में मधुमेह के बढते मामलों पर नियंत्रण के लिए डॉक्टर नियंत्रित और व्यवस्थित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2014 3:50 PM

नयी दिल्ली: मधुमेह रोगियों की संख्या भारत में बहुत तेजी से बढ़ रही है. लोगों की जीवन शैली और रहन सहन में भारी बदलाव हो रहा है जिसका असर उनके शरीर पर पड़ रहा है. काम के तनाव और भागदौड भरी जिंदगी में मधुमेह के बढते मामलों पर नियंत्रण के लिए डॉक्टर नियंत्रित और व्यवस्थित जीवनशैली, अच्छे खानपान और व्यायाम के साथ शरीर के मेटाबोलिक संतुलन पर विशेष ध्यान देने की सलाह देते हैं.

आहार सलाहकार और मेटाबोलिक विशेषज्ञ तरनजीत कौर मधुमेह के लक्षण होने पर या इस समस्या का पता चलने पर बिना घबराये शरीर के मेटाबोलिक संतुलन को बनाने पर ध्यान देने की सलाह देती हैं.
एक्टिव ऑर्थो संस्थान से जुडीं कौर के अनुसार शरीर में ग्लूकोज की मात्र बहुत बढना या इंसुलिन संबंधी समस्या सामने आना या डायबिटीज के लक्षण दिखाई देना खतरे की घंटी जरुर है लेकिन इससे घबराना नहीं चाहिए.
उन्होंने कहा कि इससे बचने के उपाय करने के लिए लोगों के पास पर्याप्त समय होता है. मेटाबोलिक संतुलन के लिए सुझाये गये स्वास्थ्यवर्धक पोषक आहार शरीर में इंसुलिन को स्थिर रखने में मदद करते हैं. जिससे खाना खाने के बाद शरीर को परिपूर्णता का एहसास होता है. मधुमेह रोगियों को शारीरिक व्यायाम का भी विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है.
फोर्टिस अस्पताल से जुडे मेटाबोलिक एंड बरियेट्रिक सर्जरी विशेषज्ञ डॉ अतुल पीटर्स के अनुसार आज की भागदौड भरी जीवनशैली में कई युवा अनियंत्रित दिनचर्या का शिकार होते हैं और धूम्रपान जैसी गलत आदतों को अपनाने के कारण उनके शरीर में मोटापे जैसी समस्याएं आती हैं जो आगे चलकर मधुमेह का रुप ले लेती हैं.
डॉक्टर इसके लिए वजन में कमी लाने और अत्यधिक वजन होने पर डॉक्टर की सलाह के साथ मेटाबोलिक सर्जरी के विकल्प पर भी विचार करने की सलाह देते हैं.
मेटाबोलिक सर्जरी फाउंडेशन के अनुसार बरियेट्रिक सर्जरी के माध्यम से मधुमेह की समस्या पर नियंत्रण पाने में सफलता देखी गयी है.
भारत में डायबिटीज के करीब 6.2 करोड मामले होने के साथ इसे ‘दुनिया की मधुमेह राजधानी’ तक कहा गया है. विशेषज्ञ मानते हैं कि 2025 तक मधुमेह रोगियों की संख्या 8 करोड पहुंचने की आशंका है.
डायबिटीज फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अनुसार अकेले दिल्ली में मधुमेह रोग के 30 लाख से ज्यादा मामले हैं. आजकल की आपाधापी की जीवनशैली में युवाओं में भी मधुमेह के मामले आम होते जा रहे हैं वहीं गभर्वती महिलाओं में भी डायबिटीज के खतरे सामने आते हैं.
आईवीएफ सेंटर, नयी दिल्ली की स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ डॉ अर्चना धवन बजाज के अनुसार गर्भावधि में महिलाओं को बच्चे के जन्म से पूर्व मधुमेह का स्क्रीनिंग टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है. इसके परिणाम नकारात्मक आने पर 24 से 28 सप्ताह में परीक्षण को पुन: दोहराया जाना चाहिए.
उनका कहना है कि आमतौर पर गर्भावधि मधुमेह के कोई विशेष लक्षण नहीं होते. कभी कभी हाई ब्लड शुगर के लक्षण दिखाई दे सकते हैं जिनमें अधिक प्यास लगना, कई बार मूत्र के लिए जाना और थकान महसूस होना आदि हैं.
डॉ बजाज ने कहा कि मधुमेह से ग्रस्त मां से भ्रूण पर भी नकारात्मक असर पड सकते हैं. इसलिए चिकित्सकीय सलाह के साथ गर्भावस्था के दौरान व्यायाम करने, वजन नियंत्रित रखने आदि का ध्यान रखना चाहिए.

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