बाढ़ प्रभावितों के लिए और हेलीकाप्टरों की जरुरत
देहरादून: उत्तरांखड के प्रभावित क्षेत्रों में फंसे सभी लोगों को निकालने में कई दिन लग सकते हैं क्योंकि आपदा बहुत बड़ी है और बचाव कार्यों में लगे हेलीकाप्टरों की संख्या पर्याप्त नहीं है. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज यह बात कही. मध्य कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैठ ने यहां संवाददाताओं से […]
देहरादून: उत्तरांखड के प्रभावित क्षेत्रों में फंसे सभी लोगों को निकालने में कई दिन लग सकते हैं क्योंकि आपदा बहुत बड़ी है और बचाव कार्यों में लगे हेलीकाप्टरों की संख्या पर्याप्त नहीं है. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज यह बात कही.
मध्य कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैठ ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं कहना चाहूंगा कि हमें फंसे तीर्थयात्रियों और लोगों को निकालने के लिए सभी उपलब्ध तंत्रों और उपकरणों को शामिल करना चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि पीड़ितों को केवल हेलीकाप्टरों से बाहर निकाला जा सकता है और इनमें औसत 20-25 लोगों को सुविधा देने की क्षमता है जबकि हजारों लोग अब भी फंसे हैं और सेना को तत्काल और हेलीकाप्टरों की जरुरत है.
लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि इस आपदा से 40 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र प्रभावित हुआ है और मध्य कमान को बद्रीनाथ धाम से तीर्थयात्रियों को निकालने का जिम्मा सौंपा गया है जहां अब भी करीब आठ हजार लोग फंसे हैं. उन्होंने कहा कि एक हजार लोग हर्षिल में, 500 लोग गंगोत्री में और 300 लोग भैरवघाटी में फंसे हैं. उन्होंने कहा कि और हेलीकाप्टरों की जरुरत है क्योंकि ज्यादातर जगहों पर केवल वायु मार्ग से ही जाया जा सकता है.
अधिकारी ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में गांववालों को फंसे तीर्थयात्रियों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होना चाहिए. उन्होंने फंसे लोगों को निकालने के लिए समय सीमा बताने से इंकार किया लेकिन कहा कि इसमें कई दिन लग सकते हैं. वहीं उत्तरप्रदेश के सहारनपुर की निवासी मानसी ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ सहस्रधारा गयी थीं. लेकिन उनके परिवार के तीन लोग लापता हैं. उन्होंने उनकी तस्वीरें भी दिखायीं.
मानसी ने आखिरी बार मंगलवार को अपनी बहन से फोन पर बात की जब उनकी बहन ने केदारनाथ से उन्हें फोन किया. केदारनाथ भारी बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. मानसी ने कहा, ‘‘उन्होंने कहा कि वे चार किलोमीटर पैदल चल कर नीचे उतरे हैं. लेकिन बचाव दल के लोग उन तक नहीं पहुंचे हैं. उनके पास भोजन-पानी कुछ नहीं है. उन्होंने मंदिर के आसपास के इलाके में लाशें होने की बात कहीं.’’ मानसी ने रोते हुए कहा, ‘‘कृपया उनका पता लगाइए, उन्हें बचा लीजिए.’’
बचाव अभियान के प्रभारी अधिकारियों ने कहा कि उनका अभियान पूरे जोर शोर से जारी है. लेकिन हैलीपैड पर उतर रहे हेलीकॉप्टर ऐसे हैं जिनमें कुछ ही लोग आ सकते हैं. 17 जून की रात को आयी विभीषिका से हुए मानवीय नुकासान को देखते हुए इस तरह की व्यवस्था पर्याप्त नहीं लग रही है.
लेकिन साफ आसमान की ओर उम्मीदें लगाए बैठे कई आंखों के लिए यह हेलीकॉप्टर ही इकलौती आशा है. उत्तराखंड के प्रधान सचिव राकेश शर्मा ने कहा, ‘‘30,000 लोग सड़क मार्ग से वापस आ रहे हैं. जिन लोगों की स्थिति गंभीर है, वह अभी भी केदारनाथ के आसपास हैं. लेकिन उन्हें भी आज या कल बाहर निकाल लिया जाएगा.’’