नयी दिल्ली : उत्तराखंड में तबाही और भारी जानमाल के नुकसान की घटना के बीच भाजपा उपाध्यक्ष उमा भारती ने आज राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भेंट की और पर्वतीय क्षेत्रों में विकास से जुड़ी परियोजनाओं की समीक्षा करने की जरूरत को रेखांकित किया.
उमा के साथ गये शिष्टमंडल ने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें पर्वतीय क्षेत्रों में विकास की पृथक रुपरेखा तैयार करने और राज्य के लोगों की रक्षक मानी जाने वाली मां धारी देवी की मूर्ति को मूल जगह पर स्थापित करने की मांग की गई.
ज्ञापन में प्रकृति की रक्षा के उपाये और उत्तराखंड जैसे राज्यों में पहाड़ों के पारंपरिक रोजगार की रक्षा जैसे विषयों को भी उठाया गया.
राष्ट्रपति से भेंट के बाद उमा ने संवाददाताओं से कहा कि उत्तराखंड में श्रीनगर स्थित धारी देवी को राज्य के लोगों एवं पर्यटकों की रक्षक माना जाता है और श्रीनगर विद्युत परियोजना के तहत धारी देवी की मूर्ति को 16 जून को हटाया गया और इसके बाद हमें यह विनाशलीला देखने को मिली है.
उन्होंने कहा कि यह हालांकि आस्था का प्रश्न है लेकिन पिछले डेढ वर्षो से वह इस विषय पर प्रदेश सरकार, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिख धारी देवी की सुरक्षा के लिए आग्रह कर चुकी हैं. हमारा अभी भी आग्रह है कि धारी देवी की मूर्ति को पूर्व जगह पर स्थापित किया जाये. उत्तराखंड में त्रासदी पर राज्य प्रशासन पर ढुलमुल तरीके से काम करने का आरोप लगाते हुए उमा ने कहा कि भारी बारिश शुरु होने के बाद रिषीकेष से ही यात्रियों का उपर जाना रोक दिया जाना चाहिए था लेकिन केदारनाथ जाना भी नहीं रोका गया. 13, 14, 15 जून को गांधी सरोबर बांध भरने लगा था और ऐसे में केदारनाथ को खाली कराने के कोई उपाए नहीं किये गए.
उन्होंने कहा, इस तरह के एहतियाती कदमों से प्राकृतिक आपदा तो नहीं रोकी जा सकती थी, लेकिन मरने वालों की संख्या अवश्य कम की जा सकती थी. लेकिन सरकार इसमें विफल रही है और हर स्तर पर चूक हुई है. इसे राष्ट्रीय आपदा बताते हुए उन्होंने कहा कि अब पर्वतीय क्षेत्रों में विकास से जुड़ी परियोजनाओं की समीक्षा की जानी चाहिए और तब तक सभी परियोजनाओं के विकास कार्य को रोक दिया जाये.
भाजपा उपाध्यक्ष ने कहा, पहाड़ का विकास कैसे हो, इस रुपरेख अलग से तय हो. जब तक इन परियोजनाओं की समीक्षा का कार्य पूरा नहीं हो जाए तब तक विकास परियोजनाओं पर काम को रोक दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा हम विकास के विरोधी नहीं है, राज्य का विकास हो लेकिन प्रकृति और पर्यावरण की कीमत पर ऐसा नहीं होना चाहिए.
उमा ने कहा कि हमनें राष्ट्रपति के समक्ष गंगा शिखर सम्मेलन के निष्कर्षों को भी रखा जिसे वैज्ञानिकों, विभिन्न धर्मगुरुओं, पर्यावरणविदों के सुझाव के आधार पर तैयार किया गया था.