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हालात नहीं सुधरे तो हिन्दी व अन्य देशी भाषाओं का भविष्य नहीं बचेगा:राजनाथ

नयी दिल्ली: गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सरकारी दफ्तरों में हिन्दी के नियमित इस्तेमाल पर जोर देते हुए इसे विडंबना बताया कि देश की 75 प्रतिशत आबादी के हिन्दी बोलने या समझने के बावजूद आज हमें हिन्दी दिवस मनाना पड़ता है. इसके साथ उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि अगर देश में देश की भाषाओँ […]

नयी दिल्ली: गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सरकारी दफ्तरों में हिन्दी के नियमित इस्तेमाल पर जोर देते हुए इसे विडंबना बताया कि देश की 75 प्रतिशत आबादी के हिन्दी बोलने या समझने के बावजूद आज हमें हिन्दी दिवस मनाना पड़ता है. इसके साथ उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि अगर देश में देश की भाषाओँ को लेकर हालात नहीं सुधरे तो हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं का कोई भविष्य नहीं रहेगा.

राजभाषा हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहित करने वाले मंत्रालयों और विभागों को पुरस्कृत करने संबंधी एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि देश की आजादी के 67 साल बाद भी सरकारी दफ्तरों में हिन्दी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल नहीं हो रहा है.

गृहमंत्री ने कहा कि देश की 75 प्रतिशत आबादी हिन्दी बोलती या समझती है लेकिन फिर भी हम सरकारी काम में हिन्दी का इस्तेमाल नहीं करते हैं और अब तो ऐसी स्थिति आ गई है कि हमें ‘हिन्दी दिवस’ मनाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि अगर यही हालात रहे तो हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं का कोई भविष्य नहीं होगा और ऐसी स्थिति बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगी.
गृह मंत्री ने कहा कि बाल गंगाधर तिलक, सुभाष चन्द्र बोस और सी. राजगोपालाचारी जैसे गैर-हिन्दी भाषी देश के दिग्गज नेताओं ने हिन्दी को बढ़ावा देने और उसका विस्तार करने की वकालत की थी.
इक्कीसवीं सदी को भारतीय और एशियाई भाषाओं की सदी बताते हुए उन्होंने कहा कि इन्हें बढ़ावा देने के लिए देश में सभी प्रयास किए जाने चाहिए.

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