विवादित संत रामपाल की जमानत याचिका पर उच्च न्यायालय ने आदेश सुरक्षित रखा

चंडीगढ़: विवादित स्वयंभू संत रामपाल के खिलाफ नए सिरे से गैर जमानती वारंट जारी किए जाने के एक दिन बाद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने साल 2006 में हत्या के एक मामले में उनकी जमानत रद्द करने पर अपना फैसला आज सुरक्षित रख लिया. आज इस मामले की सुनवायी के दौरान अदालत की सहायता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2014 5:30 PM

चंडीगढ़: विवादित स्वयंभू संत रामपाल के खिलाफ नए सिरे से गैर जमानती वारंट जारी किए जाने के एक दिन बाद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने साल 2006 में हत्या के एक मामले में उनकी जमानत रद्द करने पर अपना फैसला आज सुरक्षित रख लिया.

आज इस मामले की सुनवायी के दौरान अदालत की सहायता के लिए नियुक्त वकील ने संत रामपाल की जमानत तत्काल रद्द करने की मांग की. उन्होंने कहा कि अगर जमानत रद्द नहीं की जाती है तो समूची न्यायिक व्यवस्था की विश्वसनीयता दांव पर होगी.हरियाणा सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने भी न्याय-मित्र का समर्थन किया और रामपाल के अस्वीकार्य आचरण के मद्देनजर उनकी जमानत रद्द करने की मांग की.
हालांकि, रामपाल के वकील ने जमानत जारी रखने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि रामपाल को निचली अदालत ने व्यक्तिगत पेशी से छूट दी है.
अदालत की दो सदस्यीय पीठ ने 10 नवंबर को उस वक्त रामपाल की जमानत रद्द करने का स्वत: संज्ञान लिया था, जब रामपाल अदालत की ओर से उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए जाने के बावजूद अदालत के समक्ष उपस्थित नहीं हुए थे.
रामपाल और 38 अन्य पर 12 जुलाई 2006 को हत्या और अन्य अपराधों के आरोप लगाए गए थे जब उनके अनुयायियों और एक अन्य समूह के बीच हिंसक झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी और कइ अन्य घायल हो गए थे.
उच्च न्यायालय ने 2 अप्रैल 2008 को रामपाल को जमानत दी थी. न्याय-मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता अनुपम गुप्ता ने कहा कि दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति एम. जयपाल और न्यायमूर्ति दर्शन सिंह की पीठ रामपाल की जमानत रद्द करने पर अपना फैसला बाद में सुनाएगी. फैसला सुनाने के लिए कोई समय-सीमा या तारीख नहीं निर्धारित की गयी है. उच्च न्यायालय ने 21 नवंबर के लिए रामपाल के खिलाफ नए सिरे से गैर जमानती वारंट जारी किया था जब वह अवमानना के मामले में अदालत के समक्ष उपस्थित नहीं हुए. साथ ही न्यायलय ने अदालत के समक्ष रामपाल को पेश नहीं किए जाने के लिए हरियाणा सरकार को फटकार भी लगाई थी.

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