जम्मू और लद्दाख़ को फोकस कर मिशन 44 का लक्ष्य पूरा करना चाहती है भाजपा

नयी दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी लोकसभा और उसके ठीक बाद दो राज्यों में विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद काफी उत्साहित है. इससे उत्साहित भाजपा ने जम्मू कश्मीर में मिशन 44 प्लस का लक्ष्य रख दिया है. यानी खुद के बहुमत से राज्य में सरकार गठन का उसने लक्ष्य रखा है. यूं तो भाजपा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 20, 2014 3:57 PM

नयी दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी लोकसभा और उसके ठीक बाद दो राज्यों में विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद काफी उत्साहित है. इससे उत्साहित भाजपा ने जम्मू कश्मीर में मिशन 44 प्लस का लक्ष्य रख दिया है. यानी खुद के बहुमत से राज्य में सरकार गठन का उसने लक्ष्य रखा है.

यूं तो भाजपा राज्य की 87 में से 70 से अधिक सीटों पर अपना ध्यान फोकस कर रही है, लेकिन कुछ खास सीटों पर पार्टी की मेहनत और रणनीति साफ नजर आती है. हिंदू बहुल जम्मू और बौद्ध व मुसलिम आबादी वालेलद्दाख़ क्षेत्र की 41 सीटों पर पार्टी अपनी नजर गड़ाये हुए है. पार्टी अच्छी तरह जानती है कि यही वे महत्वूर्ण सीटें हैं जो उसे जीत और सत्ता के करीब लाकर खड़ी कर सकती हैं.

अगर भाजपा इस चुनावी युद्द में सफल हो जाती है, तो देश के इकलौते मुस्लिम बहुसंख्यक राज्य में ऐतिहासिक तौर पर बीजेपी की सरकार बनेगी. जम्मू क्षेत्र में बीजेपी हिंदू बहुल क्षेत्र के सभी 37 सीटों पर जीत के प्रति आशान्वित है. बीजेपी को विश्वास है कि अलगाववादी आंदोलन भड़कने के बाद कश्मीर घाटी से भागे प्रवासी कश्मीरी पंडित उन्हें वोट देंगे.
कश्मीर घाटी में भी जीत की उम्मीद
इसके साथ ही भाजपा के रणनीतिकारों को मालूम है कि मुस्लिम बहुल कश्मीर घाटी की 46 सीटें पर भी उसे फायदा हो सकता है. भाजपा इस चुनाव में अपने सांप्रदायिक होने का तमगा उतार कर फेंकने को तैयार है. शायद इसी रणनीति के तहत पार्टी ने तकरीबन 40 फीसदी मुसलमानों को मैदान में उतारा है. भाजपा ने 32 मुस्लिम उम्मीदवार पार्टी की जीत सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे. कश्मीर घाटी में भी पार्टी ने 25 मुस्लिमों को टिकट दिया है. जम्मू में पार्टी ने छह और लद्दाख में एक मुस्लिम उम्मीदवार को उतारा है.
पार्टी सिर्फ मुसलमान उम्मीदवार के दम पर चुनाव जीतने का सपना नहीं देख रही, बल्कि मिशन 44 प्लस की सफलता के लिए पार्टी बेघर कश्मीरी पंडितों की तरफ भी देख रही है. कश्मीरी पंडितों की संख्या श्रीनगर की हब्बाकदल, अमीराकदल, खानयार सीट के अलावा उत्तरी कश्मीर के रफियाबाद व सोपोर और दक्षिण कश्मीर में देवसर, शांगस, पहलगाम और वाची में बहुत है. अगर भाजपा इस चुनावी युद्द में सफल हो जाती है, तो देश के इकलौते मुस्लिम बहुसंख्यक राज्य में ऐतिहासिक तौर पर बीजेपी की सरकार बनेगी जम्मू क्षेत्र में बीजेपी हिंदू बहुल क्षेत्र के सभी 37 सीटों पर जीत के प्रति आशान्वित है.
बीजेपी को विश्वास है कि अलगाववादी आंदोलन भड़कने के बाद कश्मीर घाटी से भागे प्रवासी कश्मीरी पंडित उन्हें वोट देंगे. पार्टी इनके वोट के महत्व को भी दरकिनार नहीं कर सकती इसलिए पार्टी कश्मीरी पंडितों को भी अपनी रणनीति का हिस्सा बना रही है. वर्ष 2008 के विधानसभा चुनावों में घाटी की 46 सीटों में से 15 पर 34 कश्मीरी पंडित समुदाय से संबंधित उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन कोई भी चुनाव जीत नहीं पाया. जम्मू कश्मीर के चुनावी माहौल पर नजदीक से नजर रखने वाले मानते हैं कि इस समुदाय को भी अपनेअपने हितभाजपा के कार्यकाल मेंपूरे होते नजर आ रहे हैं.
नरेंद्र मोदी की केंद्र में सरकार बनने के बाद ही धारा 370 का मुद्दा बड़े जोरों शोरों से उठा था. एक वक्त तो ऐसा था जब लगने लगा था कि सरकार इस मुद्दे पर बड़े बहस का मन बना चुकी है, लेकिन विवाद बढ़ता देख सरकार बैकफुट पर चली गयी. जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा इसे चुनावी मुद्दा बनाने से डर रही है. भाजपा को डर है कि कहीं इस बहस के शुरू होने का नुकसान उसे चुनाव में चुकाना पड़े. भाजपा के राज्य इकाई के उपाध्यक्ष रमेश अरोड़ा भी धारा 370 पर नरम पड़ते दिखायी दे रहे हैं उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा पार्टी सबकी मर्जी से फैसला करना चाहती है हमें कोई जल्दीबाजी नहीं है. पहले लोगों की सलाह इस मुद्दे पर ली जायेगी तभी फैसला होगा. उन्होंने मुसलमानों के भरोसे को बढ़ाते हुए कहा कि इस्लाम हमारी सत्ता में और मजबूती से आगे बढ़ेगा.
नरेंद्र मोदी अब 21नवंबरको झारखंड में चुनावी रैली को संबोधित करने के बाद 22 नवंबर को श्रीनगर में होंगे. भाजपा अपनी चुनावी रणनीति और प्रचार के लिए पूरी तरह से प्रधानमंत्री के सहयोग से ही आगे बढ़ेगी. अपने तीन देशों की यात्रा से वापस आये मोदी अब पूरी तरह से चुनावी रैली में अपनी भूमिका निभाने को तैयार हैं. प्रदेश में मोदी की दस रैलियां होनी है.

Next Article

Exit mobile version