SC ने सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्‍हा को 2G घोटाले की जांच से हटाया

नयी दिल्ली: 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच में दोषियों को सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा द्वारा बचाने की कोशिशों से जुडी याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में सीबीआई के डायरेक्टर रंजीत सिन्हा को 2जी घोटाले की जांच से हर तरह से अलग होने का आदेश दिया है. कोर्ट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 20, 2014 4:38 PM
नयी दिल्ली: 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच में दोषियों को सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा द्वारा बचाने की कोशिशों से जुडी याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में सीबीआई के डायरेक्टर रंजीत सिन्हा को 2जी घोटाले की जांच से हर तरह से अलग होने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस निर्णय के बारे में न्यायालय ज्यादा विस्तार से कुछ नहीं बोलना चाहता क्योंकि ऐसा करने से सीबीआई की छवि धूमिल होगी लेकिन अब 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से जुडी जांच में रंजीत सिन्हा की कोई भूमिका नहीं होगी. इस मामले की पूरी कमान विशेष जांच दल (एसआईटी) के हाथ में होगी.उधर, सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा ने 2जी जांच से अलग होने के उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कहा, हम न्यायालय के आदेश का पालन करेंगे.
सीबीआई को झिड़की लगाते हुए अपनी इस महत्वपूर्ण सुनवाई में आज उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सब कुछ ठीक नहीं लगता और सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा के खिलाफ गैरसरकारी संगठन द्वारा लगाए गए आरोपों में ‘कुछ विश्वसनीयता’ दिखती है.
न्यायालय ने सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन द्वारा लगाए गए इन आरोपों से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि हमें लगता है कि सब ठीक नहीं है और पहली नजर में ऐसा लगता है कि गैरसरकारी संगठन अर्जी में जो आरोप लगाए गए हैं उनमें कुछ विश्वसनीयता है. संस्था का आरोप है कि सिन्हा ने 2जी स्पेक्ट्रम घाटाले से जुड़े मामलों में कुछ आरोपियों को संभवत: बचाने की कोशिश की है.
सिन्हा ने कल उच्चतम न्यायालय से कहा था कि उनके मातहत उप-महानिरीक्षक श्रेणी के सीबीआई के अधिकारी संतोष रस्तोगी ‘घर के भेदी’ बन गए थे और उन्होंने ही सीबीआई की पत्रावलियों पर की गयी टिप्पणियों और अन्य दस्तावेजों को उक्त गैर सरकारी संगठन को उपलब्ध कराये और उनके ही आधार पर उनके (सिन्हा) के खिलाफ आधारहीन और गलत मामला बनाया गया.
विशेष सरकारी वकील (एसपीपी) आनंद ग्रोवर ने आज कहा कि सिन्हा ने 2जी मामले में हस्तक्षेप किया जो एजेंसी के रुख के बिल्कुल उल्टा है. ग्रोवर ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि यदि इस मामले की जांच को लेकर सीबीआई के डायरेक्टर रंजीत सिन्हा की राय स्वीकार कर ली जाती, तो 2जी मामले में हमारा पक्ष ध्वस्त हो जाता. उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि 2जी जांच से रस्तोगी को हटाना उसके आदेश की हेठी करने जैसा है. उच्चतम न्यायालय ने आज अदालत कक्ष में भारी संख्या में सीबीआई के कई अधिकारियों की मौजूदगी पर भी नाखुशी जाहिर की.अदालत कक्ष में सीबीआई के करीब आठ अधिकारी मौजूद थे जो न्यायालय की टिप्पणी के बाद बाहर चले गए.
कोर्ट रूम में सुनवाई के दौरान रंजीत सिन्हा द्वारा सीबीआई के एक अधिकारी को घर का भेदी कहे जाने पर आपति करते हुए न्यायालय ने कहा कि आपको सीबीआई अधिकारी का नाम ‘घर के भेदी’ के तौर पर नहीं लेना चाहिए था. उच्चतम न्यायालय ने रंजीत सिन्हा से कहा कि आपको उस अधिकारी की सेवा पर कोई दाग लगाने की अनुमति नहीं होगी और हम इस मामले पर विचार करेंगे. प्रशांत भूषण की उक्त अधिकारी से मिलने की बात के विषय पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह उस अधिकारी से कभी नहीं मिले और न ही उन्हें उससे कोई दस्तावेज मिला है.
न्यायालय ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस मामले में सब ठीक नहीं है और पहली नजर में ही ऐसा लगता है कि स्वयंसेवी संगठन ने अपनी याचिका में जो आरोप लगाए हैं उनमें कुछ विश्वसनीयता है.
अधिवक्ता के.के. वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय से कहा सीबीआई निदेशक को जिस अधिकारी पर संदेह है और उसके खिलाफ यदि कोई सबूत है तो उसे न्यायालय में पेश किया जाना चाहिए.
उच्चतम न्यायालय ने सिन्हा के खिलाफ लगे आरोपों पर अपनी राय रखने पर सीबीआई के संयुक्त निदेशक अशोक तिवारी की खिंचाई की और कहा कि आप सीबीआई निदेशक के एजेंट नहीं हैं. आप उनके प्रवक्ता नहीं हो सकते.
इसके अलावा, इस सुनवाई के दौरान अदालत कक्ष में कई सीबीआई अधिकारियों की मौजूदगी पर उच्चतम न्यायालय ने कड़ी आपत्ति जताई और उन्हें वहां से उठकर जाने तथा दफ्तर में अपना काम करने का निर्देश दिया.

Next Article

Exit mobile version