विज्ञान संचार मिटाएगा नयी तकनीक से जुड़े भ्रम

नयी दिल्ली: नयी तकनीकों और खोजों के बारे में आम जन में पैदा होने वाली भ्रांतियों को मीडिया के माध्यम से विज्ञान के समुचित प्रसार के जरिए ही दूर किया जा सकता है. विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इस क्षेत्र में मीडिया की सक्रिय भूमिका लोगों में विज्ञान से जुडी एक अच्छी समझ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 20, 2014 5:24 PM

नयी दिल्ली: नयी तकनीकों और खोजों के बारे में आम जन में पैदा होने वाली भ्रांतियों को मीडिया के माध्यम से विज्ञान के समुचित प्रसार के जरिए ही दूर किया जा सकता है. विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इस क्षेत्र में मीडिया की सक्रिय भूमिका लोगों में विज्ञान से जुडी एक अच्छी समझ विकसित करने में मदद कर सकती है.

‘खाद्य विज्ञान एवं कृषि से जुडी जैव तकनीक पर अधारित मुद्दों के संचार’ पर आयोजित एक मीडिया कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों ने विज्ञान के समुचित संचार की जरुरत और इस दौरान पेश आने वाली दिक्कतों पर चर्चा की.
अमेरिका के इंटरनेशनल फूड इंफॉर्मेशन काउंसिल फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक किंबर्ली रीड ने अपने संबोधन के दौरान कहा, ‘‘स्वास्थ्य एवं पोषण से जुडे मुद्दों पर पर्याप्त तथ्यों के साथ मीडिया के जरिए यदि बात रखी जाए, तो लोगों में व्याप्त भ्रांतियों को दूर किया जा सकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक दिन खबर आती है प्रोटीन सेहत के लिए अच्छा है, कुछ समय बाद खबर छपती है कि ज्यादा प्रोटीन नुकसानदायक है. ऐसे में लोगों में भ्रम पैदा होना लाजमी है. संतुलित रिपोर्टिंग के जरिए विज्ञान को लोगों से जोडा जा सकता है.’’
नयी तकनीकों एवं खोजों को लेकर लोगों में संशय को स्वाभाविक बताते हुए भारतीय जनसंचार संस्थान की प्रोफेसर डा गीता बामजेई ने कहा, ‘‘नयी तकनीक अपने साथ जोखिम, संशय लेकर आती है. यह स्वाभाविक भी है. यहां मीडिया की जिम्मेदारी बनती है कि वह उन जोखिमों, खतरों और डर की समुचित पडताल करे, जिन्हें लोगों के बीच बडे स्तर पर प्रचारित कर दिया जाता है.’’
बामजेई ने समाज को आगे बढाने में मीडिया की भूमिका की चर्चा करते हुए कहा, ‘‘यदि विरोध देखकर किसी नयी तकनीक से जुडे परीक्षण किए ही नहीं जाते तो आप अच्छे या बुरे का फैसला कैसे कर सकते हैं? किसी तकनीक के गुण दोष का पता तो तभी लगेगा जब परीक्षण होने दिए जाएं. फिर मीडिया दोनों पक्षों की संतुलित छवि पेश करे. ’’
कार्यशाला का आयोजन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अमेरिका के इंटरनेशनल फूड इंफॉर्मेशन काउंसिल (आईएफआईसी) फाउंडेशन के साथ मिलकर किया गया था. भारतीय जनसंचार संस्थान एवं बायोटेक कंसोर्टियम इंडिया लिमिटेड भी प्रमुख आयोजकों में शामिल थे.इस अवसर पर मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव हेम पांडे, बायोटेक कंसोर्टियम की प्रमुख महाप्रबंधक डॉ विभा आहूजा समेत इस क्षेत्र से जुडे कई लोग उपस्थित थे.

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