नयी दिल्ली: सरकार ने वर्ष 2019 में ही भारत को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया था, लेकिन 2019-21 में कराये गये राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 के ताजा सर्वे में सामने आया है कि 19 प्रतिशत परिवार किसी शौचालय सुविधा का उपयोग नहीं करते. हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खुले में शौच के चलन में कमी आयी है और वर्ष 2015-16 में यह 39 प्रतिशत से कम होकर 2019-21 में 19 प्रतिशत हो गया है.
शौचालयों तक पहुंच बिहार में सबसे कम (62 प्रतिशत), उसके बाद झारखंड में (70 प्रतिशत) और ओड़िशा में (71 प्रतिशत) है. एनएफएचएस-5 में पता चला कि 69 प्रतिशत परिवार उन्नत शौचालय सुविधा का इस्तेमाल करते हैं, जिसे अन्य परिवारों के साथ साझा नहीं किया जाता, वहीं 8 प्रतिशत परिवार ऐसी सुविधा का इस्तेमाल करते हैं, जिसे यदि अन्य किसी से साझा नहीं किया जाये, तो उसे उन्नत माना जा सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार, ‘19 प्रतिशत परिवारों के पास कोई सुविधा नहीं है, जिसका अर्थ हुआ कि परिवार के सदस्य खुले में शौच के लिए जाते हैं.’ इसमें कहा गया, ‘83 परिवार शौचालय की सुविधा का उपयोग करते हैं. 69 प्रतिशत भारतीय परिवार उन्नत शौचालय सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं, जिन्हें किसी के साथ साझा नहीं किया जाता और लोगों को हैजा, टाइफाइड और अन्य बीमारियों के संक्रमण का खतरा कम रहता है.’
Also Read: World Toilet Day 2021: गुमला जिला अब तक नहीं हुआ ODF, 50% आबादी ही करते शौचालय का उपयोग
सर्वेक्षण में पता चला कि शहरों में रहने वाले 11 प्रतिशत परिवार साझा शौचालयों का इस्तेमाल करते हैं, जबकि गांवों में 7 प्रतिशत परिवार ऐसा करते हैं. रिपोर्ट में सुरक्षित पेयजल के बारे में कहा गया है कि 58 प्रतिशत परिवार पीने से पहले पानी का शोधन नहीं करते. इसमें कहा गया, ‘जल शोधन शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में कम प्रचलन में है. 66 प्रतिशत ग्रामीण परिवार पेयजल का शोधन नहीं करते, वहीं 44 प्रतिशत शहरी परिवार ऐसा नहीं करते.’
एनएफएचएस के अनुसार, पानी को पीने से पहले उबालना और कपड़े से छानना उसे शुद्ध करने के सबसे प्रचलित तरीके हैं. इसमें कहा गया है कि लगभग सभी शहरी परिवारों (99 प्रतिशत) और ग्रामीण परिवारों (95 प्रतिशत) की पहुंच पेयजल के उन्नत स्रोतों तक है. सर्वेक्षण के अनुसार, ‘जल का उन्नत स्रोत बाहरी प्रदूषण से बचाता है और पानी पीने के लिए अधिक सुरक्षित रहता है. शहरी और ग्रामीण परिवार पेजयल के अलग-अलग स्रोतों पर निर्भर करते हैं.’
इसमें कहा गया है कि जिन परिवारों या घरों तक पानी नहीं पहुंचता या जल का स्रोत उनके परिसरों में नहीं है, वहां इस बात की अधिक संभावना होती है कि 15 साल या उससे अधिक उम्र की लड़कियां और महिलाएं बाहर से पेयजल की व्यवस्था करके लाती हैं.
Also Read: ODF घोषित धनबाद का सच, शौचालय के नाम पर 47 लाख निकाले, बनाया 20 लाख का
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि भारत में 41 प्रतिशत परिवार खाना पकाने के लिए किसी तरह के ठोस ईंधन का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें लकड़ी या गोबर के कंडे शामिल हैं. एनएफएचएस-5 वर्ष 2019 से 2021 के बीच 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 707 जिलों में करीब 6.37 लाख नमूना परिवारों पर किया गया. इसमें 7,24,115 महिलाएं और 1,01,839 पुरुषों की भागीदारी रही.