तेजपुर (असम) : शिक्षण समुदाय और उद्योग जगत के बीच वृहद संपर्क का आह्वान करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरूवार को विश्वविद्यालयों से प्रौद्योगिकीय प्रगति के अनुकूल बनने को कहा साथ ही उन्होंने कहा कि हर संस्थान कम से कम पांच गांवों के साथ मिलकर काम करे ताकि उन्हें आदर्श गांवों में परिवर्तित किया जा सके. वे एक दीक्षांत समारोह में भाग लेने यहां पहुंचे थे. कार्यक्रम में राज्यपाल जे बी पटनायक, मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के मंत्री सर्वानंद सोनोवाल सहित अन्य गणमान्य लोग भी मौजूद थे.
उन्होंने कहा कि ‘‘मेक इन इंडिया’’ जैसी पहलों की कामयाबी गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के विनिर्माण पर निर्भर है. इस खूबसूरत शहर में स्थित तेजपुर विश्वविद्यालय के 12वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों का कर्तव्य है कि वे अपनी शोध प्राथमिकताओं को शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और उर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने जैसी चुनौतियों से निपटने में देश की मदद के लिए समायोजित करें.
‘‘इंडस्टरी इंटरफेस सेल’’ की स्थापना
उन्होंने इसी साल दिल्ली में हुए केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन में लिए गए एक फैसले का भी जिक्र किया. वह फैसला ‘‘इंडस्टरी इंटरफेस सेल’’ स्थापित करने के लिए था जिसमें हर केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षक और पुराने छात्रों के अलावा उद्योग के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाना है ताकि सहयोगात्मक गतिविधियां शुरु की जा सकें. इन गतिविधियों में संयुक्त शोध, शिक्षकों का आदान प्रदान आदि शामिल हैं. मुखर्जी ने कहा कि ‘‘मेक इन इंडिया’’ की कामयाबी गुणवत्तापूर्ण औद्योगिक उत्पादों के विनिर्माण पर निर्भर है. राष्ट्रपति ने अग्रणी शिक्षण संस्थानों से नवोन्मेष को बढावा देने को कहा.
आदर्श ग्राम योजना का भी किया जिक्र
इस कडी में उन्होंने राजग सरकार द्वारा शुरु की गयी सांसद आदर्श ग्राम योजना का भी जिक्र किया जिसका उद्देश्य बेहतर मूलभूत सुविधाओं, वृहद मानव विकास, अधिकारों तक पहुंच आदि के साथ आदर्श गांव विकसित करना है. मुखर्जी ने विश्वविद्यालयों को अपनी शोध गतिविधियों का विस्तार देने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि उन्हें ऐसी पारिस्थतिकीय प्रणाली पर जोर देना चाहिए जहां नवोन्मेषी विचारों को बढावा दिया जा सके. राष्ट्रपति के अनुसार देश भर में उच्च शिक्षा का स्तर निर्धारित करने में केंद्रीय विश्वविद्यालयों की अग्रणी भूमिका है और उन्हें अपने क्षेत्रों के अन्य संस्थानों में नई उर्जा प्रदान करने के लिए उत्प्रेरक बनना होगा ताकि क्षेत्रीय शिक्षण असंतुलन दूर किया जा सके.
शिक्षकों की कमी जैसी समस्याओं को दूर करने की आवश्यकता
उन्होंने नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षा के प्रसिद्ध केंद्रों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘‘स्थिति आज पूरी तरह से भिन्न है. विभिन्न एजेंसियों की अंतरराष्ट्रीय रेटिंग में हमारे संस्थान पीछे हैं. हालांकि हमारे कुछ अग्रणी संस्थान बेहतर स्थिति के हकदार हैं. उन्हें अपनी उपलब्धियां पेश करने के लिए प्रभावी रणनीति अपनाने की आवश्यकता है.’’ राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षण संस्थानों के सामने शिक्षकों की कमी जैसी समस्याओं को दूर करने की आवश्यकता है. सोनोवाल ने अपने भाषण में कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के लिए पूर्वोत्तर प्राथमिकता वाला क्षेत्र है. असम के ही रहने वाले सोनोवाल ने जोर दिया कि खेलों को शिक्षण पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बनाया जाना चाहिए.
उन्होंने असम में बाढ की स्थायी समस्या का भी जिक्र किया और कहा कि राजग सरकार इसका हल निकालने के लिए प्रतिबद्ध है. गोगोई ने कहा कि विशाल प्राकृतिक संसाधन होने के बाद भी क्षेत्र में कई समस्याएं हैं. उन्होंने निजी क्षेत्र द्वारा अधिक निवेश किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया.