विदेशी धन मामलाः उच्चतम न्यायालय पहुंची भाजपा
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने ब्रिटेन स्थित कंपनी वेदांता की सहायक कंपनी से चंदा प्राप्त करने के मामले में भाजपा और कांग्रेस पार्टी को पहली नजर में विदेशी कोष कानून के उल्लंघन का दोषी ठहराने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ भाजपा की याचिका पर आज केंद्र और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी […]
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने ब्रिटेन स्थित कंपनी वेदांता की सहायक कंपनी से चंदा प्राप्त करने के मामले में भाजपा और कांग्रेस पार्टी को पहली नजर में विदेशी कोष कानून के उल्लंघन का दोषी ठहराने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ भाजपा की याचिका पर आज केंद्र और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किये.
प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस याचिका पर नोटिस जारी करने के साथ ही इस फैसले के खिलाफ पहले से लंबित कांग्रेस की याचिका के साथ मामले को संलग्न कर दिया.
भाजपा ने इस आदेश को चुनौती देते हुये कहा है कि उच्च न्यायालय ने कानून की व्याख्या करने में चूक की है और अनिल अग्रवाल तथा उनके परिवार के सदस्यों की कंपनी में 50 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है और उनके द्वारा किसी भी तरह के योगदान को विदेशी स्नेत से योगदान नहीं माना जा सकता है.
याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने इस तथ्य की सराहना नहीं की कि कंपनी कानून की धारा 591 के प्रयोजन के लिये वेदांता र्सिोसेज पीएलसी को विदेशी कंपनी मान भी लिया जाये तो भी याचिकाकर्ता और दूसरे राजनीतिक दलों ने उनसे योगदान लेकर विदेशी चंदा (विनियमन) कानून, 1976 या 2010 के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया है.
याचिका में दलील दी गयी है कि वेदांता कंपनी के मालिक भारतीय नागरिक हैं और उनकी सहायक कंपनी यहां पर पंजीकृत है, इसलिये वे विदेशी स्नेत नहीं है.
उच्च न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन डेमोक्रेटिक रिफार्म्स और पूर्व सचिव ईएएस शरमा की जनहित याचिका पर अपने फैसले में कहा था कि कंपनी कानून के तहत वेदांता विदेशी कंपनी है और इसलिए अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाली कंपनी और उसकी सहायक स्टर्लाइट और सेसा विदेशी योगदान :विनियमन: कानून के अनुसार विदेशी स्नेत हैं.