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नरेंद्र मोदी की असली ताकत उनके मजबूत इरादे : जेटली

नयी दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की है. उन्‍होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की असली ताकत उनके मजबूत इरादे हैं. उनके इरादों की मजबूती ठीक वैसी ही है, जैसी खिलाडियों की होती है. आज से 15 साल पहले जब दोनों नेता भाजपा प्रवक्ता थे, तभी से […]

नयी दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की है. उन्‍होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की असली ताकत उनके मजबूत इरादे हैं. उनके इरादों की मजबूती ठीक वैसी ही है, जैसी खिलाडियों की होती है.

आज से 15 साल पहले जब दोनों नेता भाजपा प्रवक्ता थे, तभी से जेटली ने मोदी को काफी करीब से देखा और यह पाया कि वह (मोदी) अनुशासन के मामले में खुद को भी ढील नहीं देते और उनमें गहरा आत्मविश्वास है. जेटली ने कहा कि अपने इन्हीं गुणों के कारण वे विकास के अपने एजेंडे को विरोध के स्वरों के बावजूद आगे ले जाते हैं. उनके इन्हीं गुणों के कारण वह राजनैतिक परिदृश्य में बेजोड दिखाई देते हैं.

जेटली ने कहा, सरकार में रहते हुए, यह कहने की जरुरत नहीं कि वह बेहद मेहनती हैं और वह लगातार काम करते रहते हैं. इसलिए हर विभाग के बारे में उन्हें स्पष्ट रुप से पता रहता है कि किस किस को क्या क्या करना है. प्रधानमंत्री मोदी के उत्थान के बारे में जेटली ने कहा कि इस दिशा में उनके कई गुणों का योगदान है. मोदी बेहद कुशाग्र हैं, उनमें सीखने की अद्भुत लगन है और वह एक अंतरराष्ट्रीय नेता के तौर पर तालमेल बैठाने की क्षमता रखते हैं.
उन्होंने कहा, उनमें सीखने की गजब की लगन है और इसलिए वह यहां तक पहुंचे हैं. और अब जब उन्हें डिप्लोमेसी में अपनी छाप छोडने का मौका मिल रहा है तो आप देख सकते हैं कि कुछ ही महीनों के भीतर वे एक मुख्यमंत्री से एक प्रधानमंत्री और फिर एक शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय नेता के रुप में सामने आए हैं.
जेटली ने कहा, मुझे नहीं लगता कि राजनैतिक परिदृश्य में ऐसे ज्यादा लोग होंगे, जो यह सब इतनी तेजी से कर सके होंगे. मोदी की लगन और लक्ष्य पर उनकी सधी हुई नजर के बारे में जेटली ने कहा, ह्यह्यमुझे लगता है कि उनकी असली ताकत तब दिख गई थी, जब वह गुजरात गए थे… मुझे लगता है कि वह उनकी स्वीकार्यता की असली परीक्षा थी.
वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान कानून और मीडिया द्वारा ली गयी परीक्षा का परोक्ष रुप से जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि मोदी ने विरोधी स्वरों से परेशान हुए बिना विकास के एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करते हुए राज्य पर शासन किया. वर्ष 2002 दंगों के बाद मोदी के सामने पेश आई कठिनाइयों के बारे में जेटली ने कहा कि अधिकतर लोग उनके नजरिए को सामने लाने तक के लिए तैयार नहीं थे.
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, लेकिन उन्होंने मीडिया की परवाह किए बिना सीधे जनता से संवाद किया और अपना रोडमैप तथा एजेंडा तैयार किया ये एजेंडा था गुजरात का विकास. जेटली ने कहा, और जो मैंने उनके मजबूत इरादों की बात कही तो (मैं कहना चाहता हूं) कि वह अगले 10 12 साल तक इस एजेंडे से भटके नहीं और अपने आलोचकों के एजेंडे पर प्रतिक्रिया देने के बजाय उन्होंने अपने एजेंडे को केंद्र में रखा और अंतत: सफल हुए.
मोदी की क्षमताओं का वर्णन करते हुए जेटली ने कहा, उनका अपने आपमें और अपने काम में बहुत भरोसा है. इस संदर्भ में उन्होंने मोदी द्वारा अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के मंच पर हिंदी के इस्तेमाल और तात्कालिक तौर पर अंग्रेजी में दिए भाषणों का हवाला दिया. हाल ही में मोदी ने ऑस्ट्रेलिया में अंग्रेजी में भाषण दिया था.
केंद्र में सरकार चलाने की उनकी क्षमताओं के बारे में जेटली ने कहा कि तमाम आलोचनाओं के बावजूद उनके (मोदी के) पास गुजरात में सरकार चलाने का 12 साल का अनुभव है. मोदी खुद बेहद मेहनती हैं और हमेशा काम में लगे रहते हैं. वे इस बात को लेकर पूरी तरह स्पष्ट हैं कि सरकार के प्रत्येक विभाग को क्या करना है. उन्होंने कहा, उनकी इसपर खास पकड है. उनका नजरिया बिल्कुल स्पष्ट है. वह अपने कार्यालय में अपनी मूल टीम के साथ-साथ नौकरशाहों और मंत्रियों से भी जानकारी लेते रहते हैं.
जेटली ने कहा, मैं समझता हूं कि एक राज्य के मुख्यमंत्री के पद से उन्होंने प्रधानमंत्री के पद के लिए अपनी स्वीकार्यता बनाई. मोदी की अगुवाई में चलाए गए लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के बारे में जेटली ने कहा, जिस तरीके से उन्होंने प्रचार अभियान चलाया, वह उनके और पार्टी के बीच का तालमेल था लेकिन निश्चित तौर पर प्रचार अभियान के नेता मोदी ही थे.
उन्होंने कहा कि मोदी ने चुनावी संभावनाओं से जुडे सभी पारंपरिक अनुमानों को अपने धुआंधार प्रचार से ध्वस्त कर दिया. यहां जेटली उन कयासों की ओर इशारा कर रहे थे, जिनमें भाजपा के बहुमत में नहीं आने या राजनैतिक रुप से अलग-थलग पड़ जाने की बात कही गई थी.
जेटली ने कहा, मैंने कहा था कि अगले चुनाव आंकडों के गणित पर नहीं बल्कि तालमेल के बारे में हैं. पुराना गणित अब बदल गया है और यही हुआ. जमीनी स्तर की स्थितियां भी बदल गई. भाजपा के इस वरिष्ठ नेता ने कहा, ईमानदारी से कहूं तो मुझे एक या डेढ साल पहले ही यह होता दिख रहा था. इसलिए मैं उन शुरुआती लोगों में था, जिसने कम से कम दो साल पहले कहा था कि कोई विकल्प नहीं है और उन्हें नेता बनना चाहिए.

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