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शिक्षा मंत्री ने खारिज की संस्कृत को अनिवार्य भाषा बनाने की मांग

नयी दिल्ली: केंद्रिय मानव संसाधन विकास मंत्री स्‍मृति इर्रानी ने स्‍कूलों में संस्‍कृत भाषा को अनिवार्य करने की मांग को सिरे से नकार दिया है. उन्‍होंने यह फैसला उनपर लगे शिक्षा का भगवाकरण करने के आरोप को खारिज करते हुए लिया है. पत्रकारों से बात करते हुए मंत्री ने उनपर लगे आरोप को नकारते हुए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 23, 2014 3:33 PM

नयी दिल्ली: केंद्रिय मानव संसाधन विकास मंत्री स्‍मृति इर्रानी ने स्‍कूलों में संस्‍कृत भाषा को अनिवार्य करने की मांग को सिरे से नकार दिया है. उन्‍होंने यह फैसला उनपर लगे शिक्षा का भगवाकरण करने के आरोप को खारिज करते हुए लिया है.

पत्रकारों से बात करते हुए मंत्री ने उनपर लगे आरोप को नकारते हुए कहा ‘जो लोग मुझ पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रतीक या प्रतिनिधि होने का आरोप लगाते हैं, वे असल में हमारी ओर से किये गयेअच्छे कामों से ध्यान हटाना चाहते हैं. उन्होंने आगे कहा ‘जब तक हमारे अच्छे कार्यों से ध्यान हटाने की जरुरत बनी रहेगी तब तक मेरी ऐसे ही आलोचना होती रहेगी. मैं इसके लिए तैयार हूं. मुझे कोई समस्या नहीं है.’

बता दें कि इससे पहले केंद्र के एक फैसले जिसमें सरकार द्वारा चलाए जा रहे लगभग 500 केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन के स्थान पर संस्कृत को तीसरी भाषा के रुप पढायेजाने पर कई पार्टियों ने केंद्र पर शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप लगाया था. इस मामले में मानव संसाधन विकास मंत्री से पूछे जाने कपर उन्‍होंने हा कि ‘वर्ष 2011 में हस्ताक्षरित एक सहमति पत्र के तहत जर्मन भाषा को पढाया जाना संविधान का उल्लंघन है.इसकी जांच करने के आदेश पहले ही दे दिए गए हैं कि इस सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कैसे हुए.

ईरानी ने कहा कि तीन भाषा का फार्मूला पूरी तरह स्पष्ट है कि संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत आने वाली किसी भी भाषा का विकल्प चुना जा सकता है. हलांकि केंद्रिय मंत्री ने इस बात को दोहराया कि जर्मन को विदेशी भाषा के तौर पर पढाया जाना जारी रहेगा.

स्मृति ईरानी ने कहा ‘ हम फ्रैंच पढा रहे हैं , हम मैंडरिन पढा रहे हैं, उसी तरीके से हम जर्मन पढाते हैं. मुझे यह समझ नहीं आता कि लोगों को वह बात क्यों नहीं समझ आ रही है जो मैं कह रही हूं.’ईरानी ने इससे पूर्व जर्मन के स्थान पर संस्कृत को लाए जाने के फैसले को मजबूती से सही ठहराते हुए कहा था कि मौजूदा व्यवस्था संविधान का उल्लंघन करती है.

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