बिजनौर धमाका : फरार सिमी कार्यकर्ताओं की संदिग्ध भूमिका की जांच जारी
इंदौर : उत्तरप्रदेश के बिजनौर स्थित मकान में सितंबर में कथित तौर पर बम बनाने के दौरान हुए विस्फोट में सिमी के पांच फरार कार्यकर्ताओं का हाथ होने के संदेह के मद्देनजर मध्यप्रदेश पुलिस राष्ट्रीय जांच एजेंसी :एनआईए: और उत्तरप्रदेश एसटीएफ के साथ मिलकर मामले की जांच कर रही है. मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) […]
इंदौर : उत्तरप्रदेश के बिजनौर स्थित मकान में सितंबर में कथित तौर पर बम बनाने के दौरान हुए विस्फोट में सिमी के पांच फरार कार्यकर्ताओं का हाथ होने के संदेह के मद्देनजर मध्यप्रदेश पुलिस राष्ट्रीय जांच एजेंसी :एनआईए: और उत्तरप्रदेश एसटीएफ के साथ मिलकर मामले की जांच कर रही है.
मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुरेंद्र सिंह ने बिजनौर के इस विस्फोट में सिमी के फरार कार्यकर्ताओं की संदिग्ध भूमिका के बारे में पूछे जाने पर यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मध्यप्रदेश पुलिस का आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) इस मामले में एनआईए और उत्तरप्रदेश एसटीएफ से लगातार संपर्क में है.
इस मामले में इन जांच एजेंसियों की मदद से मिले.जुले कदम उठाये जा रहे हैं. चूंकि यह एक संवेदनशील मामला है. लिहाजा मैं इसमें विस्तृत विवरण नहीं दे सकता:’ मध्यप्रदेश पुलिस को खंडवा स्थित जेल से एक अक्तूबर 2013 को अलसुबह भागे जिन सिमी कार्यकर्ताओं की तलाश है, उनमें असलम, अमजद, जाकिर, महबूब और एजाजुद्दीन शामिल हैं.
डीजीपी ने एक सवाल पर दावा किया कि मध्यप्रदेश देश के उन राज्यों में शामिल है, जहां हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, डकैती और बलात्कार जैसे संगीन जुर्मों की दर बेहद कम है. उन्होंने बताया कि बढते साइबर अपराधों की उचित जांच के लिये सूबे के हर जिले में कम से कम एक पुलिस अधिकारी को खास तौर पर प्रशिक्षित किया जायेगा.
सिंह ने जोर देकर कहा कि पुलिस को जनहितैषी बनाने के लिये बल के अफसरों को थानों के बजाय सीधे आम लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुननी चाहिये. इंदौर और भोपाल सरीखे बडे शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के लम्बे समय से ठंडे बस्ते में पडे प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर डीजीपी ने कहा, ‘यह एक नीतिगत विषय है. लिहाजा मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा.’