नयी दिल्ली : गंगा की धारा को निर्मल एवं अविरल बनाने के लिए विभिन्न पर्यावरणविदों ने स्कूली स्तर पर पाठ्यक्रम में गंगा स्वच्छता पाठ जोड़ने की मांग की है. बच्चों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से पर्यावरणविद और शिक्षाविदों की इस मांग पर सरकार भी विचार कर रही है.
जल संसाधन एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय की ओर से आयोजित ‘गंगा मंथन’ कार्यक्रम में स्कूली पाठ्यक्रम में गंगा नदी के बारे में एक पाठ शामिल करने का प्रस्ताव किया गया था. मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा यह एक अच्छा प्रस्ताव है और हम इस पर विचार कर रहे हैं.
पर्यावरणविदों का मानना है कि साफ सफाई का विषय ऐसा है जिसकी नींव बचपन में ही पडती है. बच्चों का लंबा समय स्कूलों में गुजरता है. स्कूल में सीखी बातों को बच्चे गंभीरता से लेते हैं. ऐसे में स्कूली शिक्षा में गंगा की स्वच्छता के विषय को शामिल किये जाने की जरुरत है.
इससे पहले मंत्रालय ने कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवी बल ‘गंगा वाहिनी’ का गठन रेड क्रॉस की तर्ज पर किया जायेगा. इसमें युवा, छात्र, पूर्व सैनिक और अन्य लोग शामिल होंगे और पूरे देश में गंगा संरक्षण का संदेश फैलायेंगे.
हाल में ही केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने गंगा वाहिनी का गठन किये जाने की घोषणा की थी. गंगा मंथन में पारित प्रस्ताव में यह भी कहा गया था कि गंगा नदी की सुरक्षा के लिए एक कार्यबल गठित किये जाने की आवश्यक्ता है. जिसमें वनीकरण, नदी तट विकास, जागरुकता सृजन और प्रतिबंधित गतिविधियों की निगरानी प्रमुख है.
गंगा नदी के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा प्रारंभ किये गए सभी कार्य समय से परिणाम अभिमुख और क्रमबद्ध तरीके से क्रियान्वित किये जाने चाहिए.
हालांकि गंगा स्वच्छता को लेकर इससे पहले भी नीतियां बनायी गयी थीं लेकिन प्रभावी संस्थानों एवं अंतर विभागीय समन्वय की कमी के कारण परियोजनाओं का कार्यान्वयन नहीं हो सका.