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सरताज अजीत से मिलीं सुषमा स्वराज, बोलीं – मेरी सरकार और मेरा पड़ोस नीति में हमारा दृढ़ विश्वास

काठमांडो : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों और राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज से आज यहां दक्षेस देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर संक्षिप्त बातचीत की. इस मुलाकात में दोनों ने एक-दूसरे से दुआ-सलाम किया. हालांकि स्वराज ने मीडिया से इस आमने-सामने होने पर शिष्टाचार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 25, 2014 5:13 PM

काठमांडो : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों और राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज से आज यहां दक्षेस देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर संक्षिप्त बातचीत की. इस मुलाकात में दोनों ने एक-दूसरे से दुआ-सलाम किया. हालांकि स्वराज ने मीडिया से इस आमने-सामने होने पर शिष्टाचार मुलाकात व एक-दूसरे को नमस्कार करने की संज्ञा दी.

दक्षेस के 18वें सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए सुषमा कल यहां पहुंचीं हैं, जबकि अजीज ने आज विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया. इस बैठक में कल से शुरू होने वाले दक्षेस सम्मेलन के एजेंडे पर बातचीत हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित अन्य सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष और राष्ट्र प्रमुख भाग लेने वाले हैं.
विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर अजीज के साथ बातचीत के बारे में पूछने पर सुषमा ने कहा, ‘‘मैंने उनसे शिष्टाचार के नाते भेंट की. यह सामान्य शिष्टाचार है कि जब विभिन्न देशों के प्रतिनिधि किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर मिलते हैं तो वे एक-दूसरे से दुआ-सलाम करते हैं, और हम भी ऐसे ही मिले.’’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की संभावित बैठक की अटकलों के बीच सुषमा और अजीज के बीच यह संक्षिप्त मुलाकात हुई.
दक्षेस को अधिक प्रभावशाली बनाने के बारे में बात करते हुए सुषमा ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली नयी सरकार ‘‘सबका साथ, सबका विकास’ की दृष्टि पर काम कर रही है और क्षेत्रीय समूह के लिए भी भारत की यही दृष्टि है.
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी सरकार और मेरा पड़ोस को पहली प्राथमिकता की नीति दृढ़ विश्वास है. इसी दृष्टि को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में सभी दक्षेस देशों के शासनाध्यक्षों को आमंत्रित किया था. इसी दृष्टि की वजह से मैंने अपने छह महीने के कार्यकाल में सात में से छह दक्षेस राष्ट्रों की यात्र की है.
सुषमा ने कहा, ‘‘सभी आठ सदस्य देश और तेज प्रगति और हमारी जनता के लिए जीवन की गुणवत्ता बेहतर कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए दक्षेस को क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग के लिए एक उद्देश्यपूर्ण माध्यम के तौर पर अधिक प्रभावशाली एवं कुशलतापूवर्क तरीके से संचालन के लिए खुद को ढालना होगा.’’ विदेश मंत्री ने क्षेत्रीय शांति, समृद्धि एवं विकास की साझा दृष्टि की दिशा में भारत की ‘गंभीर एवं स्थायी प्रतिबद्धता’ जतायी और कहा कि क्षेत्र को ‘अधिक सुरक्षित, मजबूत एवं बेहतर’ बनाने की दिशा में भारत सरकार अंतर-क्षेत्रीय सहयोग की प्रक्रिया को तेज करने और भारत की तकनीकी, वैज्ञानिक एवं मानव संसाधन क्षमता अपने दक्षेस पड़ोसियों के साथ साझा करने के लिए हरसंभव सहयोग करना चाहेगी.
बेहतर संपर्क की जरूरत पर जोर देते हुए सुषमा ने कहा कि दक्षेस को ‘कल्पनाशील’ होना चाहिए और सड़क एवं रेल, समुद्री एवं वायु या एकीकृत मल्टी-मोडल परिवहन के माध्यम से देशों को जोड़ने के नए तरीकों पर विचार करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘संपर्क बेहतर करने से ना केवल उत्पादकता बढ़ेगी, लागत में कमी आएगी और हमारा आर्थिक विकास बढ़ेगा बल्कि हमें क्षेत्र की स्थानिक गरीबी को दूर करने में भी मदद मिलेगी.’’ सदस्य देशों के शासनाध्यक्ष कल से शुरू हो रहे दो दिनों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘दक्षेस ने 29 साल पूरे कर लिए हैं. 2015 में हम अपने संगठन के 30 साल पूरे करने का जश्न मनाएंगे. जैसे लोगों के जीवन में होता है उसी तरह एक संगठन के जीवन में भी 30वां साल एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है. यह वह समय है जब इस इमारत में ऊर्जा भरी जाए और संगठन को जरूरी गति दी जाए.’’ आर्थिक विकास को लेकर सुषमा ने कहा कि दक्षेस देशों के बीच व्यापार से क्षेत्रीय आर्थिक विकास को तेज करने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र (साफ्टा) ने अंतर-दक्षेस व्यापार को कुछ गति दी है, लेकिन यह अब भी क्षमता से कम है. भारत ने अंतर-क्षेत्रीय व्यापार को बढावा देने के लिए पहले ही कई उपाय किए हैं, जिनमें दक्षेस के अल्प विकसित देशों की वस्तुओं को भारत में शुल्क मुक्त प्रवेश की उपलब्धता शामिल है.

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