1000 रुपये का नोट फिर से होगा जारी? कांग्रेस का मोदी सरकार पर कटाक्ष
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट किया कि जैसी संभावना थी उसी के मुताबिक सरकार/आरबीआई ने 2000 रुपये का नोट वापस लेने का फैसला किया. 2000 रुपये का नोट लेनदेन के लिए बहुत ज्यादा लोकप्रिय नहीं है. जानें एक हजार के नोट को लेकर क्या बोली कांग्रेस
भारतीय रिजर्व बैंक ने सबसे बड़ी करेंसी 2000 रुपये के नोट पर बड़ा फैसला लिया. RBI ने 2016 के नोटबंदी के बाद जारी 2000 रुपये के नोट को वापस लेने की घोषणा की. इसके बाद कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर हो गयी है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 2,000 रुपये के नोट को सितंबर, 2023 के बाद चलन से बाहर करने की घोषणा किए जाने के बाद शुक्रवार को सरकार पर निशाना साधा और कहा कि हैरानी नहीं होगी कि यदि 1000 रुपये का नोट फिर से जारी हो जाए.
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट किया कि जैसी संभावना थी उसी के मुताबिक सरकार/आरबीआई ने 2000 रुपये का नोट वापस लेने का फैसला किया. 2000 रुपये का नोट लेनदेन के लिए बहुत ज्यादा लोकप्रिय नहीं है. हमने यह नवंबर, 2016 में कहा था और अब सही साबित हुए हैं. उनका कहना था कि 500 और 1000 रुपये के नोट को बंद करने के मूर्खतापूर्ण फैसले को ढंकने के लिए 2000 रुपये का नोट ‘बैंड-एड’ की तरह था. नोटबंदी के कुछ सप्ताह के बाद सरकार/आरबीआई को 500 रुपये के नोट फिर से जारी करना पड़ा.
1000 रुपये का नोट फिर से जारी होने की संभावना
आगे चिदंबरम ने कहा कि मुझे हैरानी नहीं होगी, अगर सरकार/आरबीआई 1000 रुपये का नोट फिर से जारी कर दे. इधर कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कटाक्ष करते हुए कहा कि देश के तमाम अर्थशास्त्री मिल कर भी आज तक 2000 के नोट को चालू करने का एक फायदा भी नहीं ढ़ूंढ़ पाये. हालांकि,कर्नाटक चुनाव में हार का साइड इफेक्ट व चर्चा में बने रहने के लिए साहेब को अब 2000 का नोट बंद करना पड़ रहा है. क्या सरकार के पास चिप की कमी हो गई कि 2000 का नोट बंद हो रहा है?
Also Read: फिर नोटबंदी! 2,000 रुपये के नोट का क्या करना है आपको, दस प्वाइंट में जानें
मनोज झा का ट्वीट
राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने ट्वीट किया कि मुहम्मद बिन तुगलक बिला वजह ‘सिरफिरे मिजाज़’ के लिए इतिहास के इतने पन्ने खा गया?’ तुगलकी फरमान’ एक ऐसा मुहावरा बन गया जिसका चिपकना कई अर्थ रखता था. लेकिन ध्रुव सत्य है कि हर दौर का अपना एक तुगलक होता है..और ‘हमारे दौर’ वाले तो कई मायनों में ज्यादा वजनी हैं. कम कहे को ज़्यादा समझिये.
भाषा इनपुट के साथ