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काले धन पर सदन में जेटली का जवाब, नाम सार्वजनिक नहीं कर सकती सरकार

नयी दिल्ली: संसद के दोनों सदनों में काले धन को लेकर चल रही बहस के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार की तरफ से राज्यसभा में सफायी देते हुआ अपना पक्ष रखा. जेटली ने कहा कि समय के साथ काले धन जैसे मुद्दों के बारे में जानकारी लेने और उन पर नियंत्रण करने की […]

नयी दिल्ली: संसद के दोनों सदनों में काले धन को लेकर चल रही बहस के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार की तरफ से राज्यसभा में सफायी देते हुआ अपना पक्ष रखा. जेटली ने कहा कि समय के साथ काले धन जैसे मुद्दों के बारे में जानकारी लेने और उन पर नियंत्रण करने की हमारी क्षमताओं में वृद्धि हुयी है. आज से 15-20 साल पहले ऐसा संभव नहीं हो पाता.

जेटली ने कहा कि पिछली यूपीए सरकार नहीं चाहती थी कि काले धन से जुड़े लोगों के नाम सामने आयें. इसलिए, साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय देने के बावजूद यूपीए सरकार ने काले धन की जांच के लिए एसआइटी का गठन नहीं किया था. 2014 में यूपीए का कार्यकाल ख़त्म हुआ और तीन सालों तक सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर अमल करने से यूपीए सरकार बचती रही. इतना ही नहीं बल्कि कोर्ट के काला धन खाताधारकों का नाम घोषित करने के निर्णय का भी उस सरकार ने विरोध किया था. यूपीए सरकार चाहती थी कि ऐसे विषयों पर न्यायपालिका की जगह सरकार के हाथों में नियंत्रण रहे.
जेटली ने आगे कहा कि हमारी सरकार के सत्ता में आने के अगले दिन ही हमने अपनी मंत्रिपरिषद की बैठक बुलाई और उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुरूप काले धन की जांच के लिए एक एसआइटी का गठन किया. जेटली के मुताबिक इस साल जून में सरकार को एचएसबीसी बैंक में करीब 627 बैंक खातों के होने की जानकारी मिली थी. सरकार ने इस लिस्ट को एसआइटी को सौंप दिया था. जर्मनी के लिंचेस्टाइन बैंक में करीब 18 गैर कानूनी खातों की जानकारी भी सामने आयी थी, जिस पर सभी जरूरी कदम उठाते हुए सरकार ने कानूनी कारवाई का कदम उठाया है. एचएसबीसी के 627 बैंक खातों के बारे में जानकारी देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इन खातों की जानकारी एचएसबीसी बैंक के ही एक कर्मचारी ने बाहर की थी. वह कर्मचारी ही इस मामले में व्हिसल ब्लोअर था. उसने अन्य कई देशों के नागरिकों के बैंक खातों की जानकारी इकठ्ठा की थी. ये जानकारियां फ़्रांस की सरकार के पास पहुंची थीं. फ़्रांस की सरकार से हमें इन खातों की जानकारी मिली.जेटली ने कहा कि एचएसबीसी के 627 लोगों के मामले में सरकार 427 लोगों की पहचान कर पाई है और इन सभी में अधिकतर को नोटिस भेजा जा रहा है.
जेटली ने कहा कि चूंकि हमें प्राप्त जानकारियां अधूरी थीं और इनमें से कईयों में खातेदारों के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं थी, ऐसे में पूरी जानकारी इकठ्ठा करने में समय लगा. जेटली ने आगे बताया कि इन 627 खाताधारकों में से करीब 250 लोगों ने अब तक अपने खातों के अवैध होने की बात स्वीकार कर ली है. सरकार को मिली जानकारी के मुताबिक ये सभी खाते साल 2005-2007 के बीच खोले गए थे और जब इन खातेदारों को काले धन के बारे में सरकार के कड़े रुख का पता चला तो इनमे से अधिकांश लोगों ने अपना पैसा इन खातों से निकाल लिया.
स्विट्जरलैंड के कानून के मुताबिक कर चोरी से जुड़े खातों का खुलासा नहीं हो सकता. इसलिए सरकार जी-20 जैसे माध्यमों के साथ मिलकर दुनिया भर के देशों में काले धन जैसे मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग और जानकारियां हस्तांतरित करने की व्यवस्था विकसित करने की कोशिश कर रही है. अमेरिका भी ऐसी व्यवस्था के विकास की कोशिशों में लगा हुआ है.
काले धन के मालिकों के नाम सार्वजनिक करने के विषय पर वित्त मंत्री जेटली ने अपनी सरकार का रुख साफ़ करते हुए कहा कि वर्तमान कानूनी व्यवस्था के तहत जब तक न्यायालय में ऐसे व्यक्ति पर मुक़दमा नहीं होता, तब तक ऐसे लोगों के नाम सरकार सार्वजनिक नहीं कर सकती क्योंकि देश में कई ऐसे क़ानून है, जिनकी वजह से सरकार की अपनी बाध्यताएं हैं. जेटली ने कहा इस वजह से सरकार पहले ऐसे लोगों के खातों की पहले विस्तृत जांच कर रही है और जिन लोगों को दोषी पाया जायेगा उनके नामों का न्यायालय में खुलासा किया जायेगा.
जेटली ने कहा कि देश के बाहर किये गए ऐसे वित्तीय लेन-देन पर हमारा अधिकार नहीं है क्योंकि दूसरे देश में हमारा कानून काम नहीं कर सकता. इसलिए सरकार दूसरे देशों, विशेषकर काले धन के पनाहगार माने जाने वाले देशों से ऐसी संधियाँ करने की कोशिशों में लगी है ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो.
वित्तमंत्री जेटली के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने वॉक आउट किया.

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