2015 Kotkapura Firing: कोटकपूरा फायरिंग मामले में SIT ने अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल से की पूछताछ
2015 Kotkapura Firing: SIT ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से सोमवार को पूछताछ की. बता दें कि कोर्ट के आदेश पर गठित एसआईटी इस मामले की जांच कर रही है.
2015 Kotkapura Firing: वर्ष 2015 में हुए कोटकपूरा फायरिंग मामले की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से सोमवार को पूछताछ की. बता दें कि एसआईटी ने सुखबीर सिंह बादल को समन भेजा था और उन्हें 12 दिसंबर को पूछताछ के लिए चंडीगढ़ सेक्टर- 32 स्थित पुलिस इंस्टीट्यूट में पेश होने को कहा था.
सुखबीर से सितंबर में भी हुई थी पूछताछ
कोर्ट के आदेश पर गठित एसआईटी इस मामले की जांच कर रही है. इससे पहले, एसआईटी ने सुखबीर से सितंबर में करीब 3 घंटे पूछताछ की थी. बताते चलें कि जब घटना हुई थी उस समय राज्य में शिरोमणि अकाली दल की सरकार थी और सुखबीर उस समय उपमुख्यमंत्री थे तथा गृह विभाग की जिम्मेदारी भी उनके पास थी. ऐसे में एसआईटी हर चीज को साफ करना चाहती है. इससे पहले, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से एसआईटी पूछताछ कर चुकी है. वहीं, इस मामले में तत्कालीन डीजीपी सुमेध सिंह सैनी से भी पूछताछ हो चुकी है. बाद में उन्हें दो बार समन भेजा गया, मगर तबीयत ठीक न होने के चलते वह पूछताछ में शामिल नहीं हुए थे.
इस मामले में सामने नहीं आई सच्चाई
गौरतलब है कि कोटकपूरा गोलीकांड वर्ष 2015 में हुआ था. इसमें दो एफआईआर दर्ज की गई थीं और इस समय अवधि में अब तक तीन मुख्यमंत्री बदल चुके हैं, लेकिन इस मामले की सच्चाई सामने नहीं आई है. हालांकि, मौजूदा सरकार ने दलील दी थी कि सत्ता में आते ही इस मामले की पूरी सच्चाई को सामने लाया जाएगा.
क्या है मामला
दरअसल, 12 अक्टूबर 2015 को फरीदकोट के बरगारी में 2015 में सिखों के पवित्र ग्रंथ के फटे हुए पन्ने पाए गए थे. श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटना के विरोध में प्रदर्शन हुए थे. इस दौरान 14 अक्टूबर को कोटकपुरा और बहबल कलां में विरोध करने वालों पर पुलिस ने गोलीबारी कर दी. इसमें दो लोग कृष्ण भगवान सिंह और गुरजीत सिंह की मौत हो गई थी. हालांकि, दोनों मृतकों के परिवारों को मामले में 90-90 लाख रुपये का मुआवजा मिला है. लेकिन, वे दोषियों के लिए सजा की मांग कर रहे हैं. इस पर पंजाब पुलिस की दो एसआईटी, दो आयोगों और सीबीआई की जांच हुई थी.
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