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IB अफसर अंकित शर्मा के कत्ल के मामले में पूर्व AAP नेता ताहिर हुसैन पर चलेगा मुकदमा

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 में भड़की हिंसा के दौरान IB अफसर अंकित शर्मा की हत्या कर दी गयी थी. इस मामले में दयालपुर पुलिस स्टेशन में हुसैन समेत 11 आरोपियों के खिलाफ अफसर के पिता शिकायत दर्ज की थी.

Ankit Sharma Murder Case: साल 2020 में हुए दिल्ली दंगों में IB अफसर अंकित शर्मा की हत्या कर दी गयी थी. इस मामले को लेकर हाल ही में एक बड़ा अपडेट सामने आया है. दिल्ली की एक कोर्ट ने इस मामले में आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता ताहिर हुसैन सहित 10 अन्य लोगों के खिलाफ आरोप तय हुए हैं. जानकरी के लिए बता दें ताहिर हुसैन के खिलाफ ED ने मनी लॉन्ड्रिंग का भी मामला दर्ज किया था और उस मामले में भी पूर्व आम आदमी पार्टी नेता के खिलाफ आरोप तय किये जा चुके हैं.

कई अपराधों में आरोप तय

दिल्ली की एक कोर्ट ने 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगा मामले में खुफिया ब्यूरो (IB) के अधिकारी अंकित शर्मा की कथित हत्या के सिलसिले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता ताहिर हुसैन और 10 अन्य के खिलाफ कल अपहरण और हत्या सहित कई अपराधों में आरोप तय किए. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला दयालपुर पुलिस थाने में हुसैन समेत 11 आरोपियों के खिलाफ अधिकारी के पिता की शिकायत पर दर्ज मामले की सुनवाई कर रहे थे.

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नाले से बरामद किया गया शव

अंकित शर्मा का शव चांद बाग पुलिया के पास खजूरी खास नाले से बरामद किया गया था. जज ने कहा- मुझे लगता है कि मोहम्मद ताहिर हुसैन, हसीन, नाजिम, कासिम, समीर खान, अनस, फिरोज, जावेद, गुलफाम, शोएब आलम और मुंतजिम नामक आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147 (दंगे), 148 (दंगे, घातक हथियार से लैस) और 153A (धर्म आदि के आधार पर समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 302 (हत्या) और धारा 120B (आपराधिक साजिश) के तहत दंडनीय अपराध के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है.

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी आरोप तय

बता दें सुप्रीम कोर्ट ने ताहिर हुसैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत आरोप तय करने की प्रक्रिया में फरवरी के महीने में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया था. उस समय जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन और जस्टिस पंकज मित्थल की बेंच ने कहा था कि- आरोप तय करने के फेज में कोर्ट विवरण में नहीं जा सकती, जिसे बाद के फेज में देखा जाएगा. बेंच ने आगे बात करते हुए बताया था कि- यह मामला फिलहाल PMLA के तहत आरोप तय करने के फेज में है और यहीं कारण हैं कि इस फेज में हस्तक्षेप करने की जरुरत नजर नहीं आती. (भाषा इनपुट के साथ)

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