अधिक बर्बर और क्रूर होती हैं महिला नक्‍सली

रायपुर : बस्तर जिले के माओवाद प्रभावित क्षेत्र में अब महिला कैडरों की नियुक्ति सैन्य अभियानों के लिए अधिक हो रहा है जबकि पारंपरिक तौर पर रसोई कार्य करने, प्रोत्साहन और आत्मरक्षार्थ ढाल के तौर पर उनकी भूमिका मानी जाती थी. राज्य पुलिस ने हाल में इसका पता लगाया है. महिला कैडरों को प्रतिबंधित भारतीय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:54 PM

रायपुर : बस्तर जिले के माओवाद प्रभावित क्षेत्र में अब महिला कैडरों की नियुक्ति सैन्य अभियानों के लिए अधिक हो रहा है जबकि पारंपरिक तौर पर रसोई कार्य करने, प्रोत्साहन और आत्मरक्षार्थ ढाल के तौर पर उनकी भूमिका मानी जाती थी. राज्य पुलिस ने हाल में इसका पता लगाया है. महिला कैडरों को प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)की विशेष क्षेत्रीय समिति में निर्णय लेने की प्रक्रिया में समान मौका दिया जा रहा है.

छत्तीसगढ सशस्त्र बल (सीएएफ) के महानिदेशक और नक्सल विरोधी अभियान के अधिकारी आर पी कालुरी ने कहा, ‘‘ पुरुष समकक्षों की तुलना में महिला कैडर सैन्य अभियानों में अधिक सक्रियता से हिस्सा ले रही हैं. माओवादियों के हाल के हमलों (कांग्रेस काफिले पर) से यह बात स्पष्ट हुई है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘महिला कैडर आमतौर पर अधिक बर्बर और क्रूर होती है. हम बस्तर में इसकी संख्या बढ़ने से इंकार नहीं कर रहे हैं. हमें इन विषयों से मनोवैज्ञानिक तौर पर निपटना है.’’

खुफिया सूचनाओं से यह बात सामने आई है कि पिछले दो वर्षो में देश के अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की तुलना में बस्तर क्षेत्र में महिला कैडरों की संख्या में काफी वृद्धि दर्ज की गई है. 2010 में नक्सल कैडरों में महिलाओं की संख्या 40 प्रतिशत थी जो इस साल बढ़ कर 60 प्रतिशत हो गई है.

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