रामपाल आश्रम के बाहर मीडियाकर्मियों पर पुलिस ने क‍िया था हिंसक बल प्रयोग : पीसीआई रिपोर्ट

नयी दिल्ली : स्वयंभू धर्मगुरु रामपाल के आश्रम के बाहर पत्रकारों पर हुए हमले की पीसीआई (भारतीय प्रेस परिषद) ने पडताल की. इस पडताल में पीसीआई पैनल ने अपनी जांच में पाया कि हरियाणा पुलिस ने मीडिया को उसके काम से दूर रखने के लिए ‘असंवैधानिक’ तरीका अपनाया साथ ही पैनल ने इस प्रकरण में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 30, 2014 11:45 AM

नयी दिल्ली : स्वयंभू धर्मगुरु रामपाल के आश्रम के बाहर पत्रकारों पर हुए हमले की पीसीआई (भारतीय प्रेस परिषद) ने पडताल की. इस पडताल में पीसीआई पैनल ने अपनी जांच में पाया कि हरियाणा पुलिस ने मीडिया को उसके काम से दूर रखने के लिए ‘असंवैधानिक’ तरीका अपनाया साथ ही पैनल ने इस प्रकरण में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जांच की अनुशंसा की.

पीसीआई में दायर चार सदस्यीय पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस और स्थानीय प्रशासन स्थिति पर नियंत्रण करने में नाकाम रहे तथा अपनी ड्यूटी कर रहे मीडियाकर्मियों के खिलाफ ‘हिंसक बल प्रयोग’ किया गया. समिति ने बताया कि यह प्रशिक्षण और अनुशासन की कमी दर्शाता है तथा यह पूर्ण रुप से मानवाधिकार का उल्लंघन है.

हिसार जिले के बरवाला स्थित रामपाल के आश्रम पर 18 नवंबर को हुए संघर्ष में घायल होने वालों में कई मीडियाकर्मी भी शामिल थे. रामपाल के समर्थकों को तितर बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस और लाठीचार्ज करना पड़ा था.
पीसीआई ने घटना की जांच के लिए सोनदीप शंकर (सलाहकार), के. अमरनाथ, राजीव नाग और कृष्ण प्रसाद की एक समिति बनाई थी. अपनी अनुशंसा में समिति ने मामले में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जांच की मांग की और घायल मीडियाकर्मियों तथा घटना के दौरान जिनके उपकरण क्षतिग्रस्त हो गए, उनके लिए मुआवजे की मांग की.
पैनल ने इसके अलावा मीडियाकर्मियों पर हुए हमले के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों की पहचान सुनिश्चित करने और उन्हें निलंबित किए जाने की भी मांग की तथा उनके मामले को जल्द निपटाए जाने की मांग की. पैनल ने यह भी कहा कि मीडियाकर्मियों पर थोपे गए गलत मामलों को तत्काल रद्द किया जाना चाहिए.
पैनल ने कहा कि टीवी चैनलों पर पुलिस कार्रवाई में घायल लोगों की मन को झकझोरने वाली तस्वीरें प्रसारित की गईं, जिनमें पुलिसकर्मियों द्वारा लगभग अमानवीय रवैया अपनाते हुए लोगों को घटनास्थल से घसीटकर ले जाते हुए भी दिखाया गया.
पैनल ने यह भी कहा कि हरियाणा पुलिस ने मीडियाकर्मियों को उनका काम करने से रोकने के लिए असंवैधानिक तथा अमानवीय तरीका अपनाया. समिति ने कहा कि मीडियाकर्मियों पर हमला और उनके उपकरणों को नष्ट किया जाना प्रथम दृष्टया ही संविधान में प्रदत्त धारा 19 (1) के तहत अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है.
हिसार में घटनास्थल पर मौजूद रहे मीडियाकर्मियों से बातचीत के बाद पैनल ने रेखांकित किया कि ऐसा प्रतीत होता है कि मीडियाकर्मियों पर बेहतर संचालित तरीके और सुनियोजित तरीके से हमला किया गया.

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