सरकार और विधायक से सहायता प्राप्त संस्थाएं लोकायुक्त के दायरे में
भोपल: मध्यप्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति पी.पी. नावलेकर ने राज्य सरकार से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से लोकायुक्त कानून में संशोधन की सिफारिश की है. इसके तहत विधायकों और सरकार से राशि प्राप्त करने वाली तमाम संस्थाओं को लोकायुक्त के दायरे में रखने की वकालत की गयी है. नावलेकर ने कहा कि अभी हम […]
भोपल: मध्यप्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति पी.पी. नावलेकर ने राज्य सरकार से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से लोकायुक्त कानून में संशोधन की सिफारिश की है. इसके तहत विधायकों और सरकार से राशि प्राप्त करने वाली तमाम संस्थाओं को लोकायुक्त के दायरे में रखने की वकालत की गयी है.
नावलेकर ने कहा कि अभी हम शिकायत मिलने पर मुख्यमंत्री और मंत्रियों के खिलाफ तो जांच कर सकते हैं, लेकिन लोकायुक्त विधायक की जांच नहीं कर सकते, जबकि विधायकों को भी राशि सरकार से ही मिलती है.
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार बहुत से गैर सरकारी स्वयं सेवी संगठन सरकार से सहायता प्राप्त करते हैं, लेकिन वे भी लोकायुक्त जांच के दायरे से बाहर हैं. नावलेकर ने कहा कि हमने सरकार को यही सुझाव दिया है जितनी भी संस्थाओं को सरकार से राशि प्राप्त होती है उन्हें लोकायुक्त जांच के दायरे में लाया जाये.
उन्होंने कहा कि लोकायुक्त को तलाशी और जब्ती के अधिकार भी दिये जाने चाहिये क्योंकि अभी हमें इसके लिये मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी पडती है. मुख्यमंत्री, मंत्री तथा बडे-बडे अधिकारियों के प्रति लोकायुक्त द्वारा नरमी बरते जाने के आरोपों को खारिज करते हुए नावलेकर ने कहा कि यदि शिकायत में किसी के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश किये जाते हैं तो उनकी पूरी जांच कराई जाती है.
उन्होंने कहा चाहे वह मंत्री हो, मुख्यमंत्री हो, बडा अधिकारी हो या छोटा कर्मचारी हो हमारे लिये सभी बराबर हैं. उन्होने कहा कि पर्याप्त सबूत और गवाह के बिना हम कार्रवाई नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि अभी भी लोकायुक्त द्वारा तीन-चार मंत्रियों के खिलाफ जांच की जा रही है.
कुछ समय पहले लोकायुक्त ने जबलपुर के सामाजिक कार्यकर्ता डा.पी.जी.नाजपांडे द्वारा उच्च न्यायालय में लोकायुक्त द्वारा बडे लोगों के खिलाफ जांच में देरी को लेकर दायर जनहित याचिका के जवाब में बताया था कि 11 में से आठ मंत्रियों के खिलाफ जांच बंद कर दी गई है.
डा. नाजपांडे ने बताया कि लोकायुक्त ने उच्च न्यायालय को यह भी बताया था कि 48 नौकरशाहों में से 32 आईएएस अधिकारियों एवं सात आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ जांच बंद कर दी गई है जबकि तीन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच जारी है.
मप्र में भ्रष्टचार के बढते मामलों के संबंध में नावलेकर ने कहा कि यहां लोकायुक्त बहुत अच्छी तरह से कार्य कर रहा है इसलिये भ्रष्टाचार के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं. जबकि दूसरे राज्यों में लोकायुक्त को इतने अधिकार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि यदि दूसरे राज्यों में भी लोकायुक्त को मध्यप्रदेश में जितने अधिकार दिये जायें तो भ्रष्टाचार पर प्रभावी ढंग से अंकुश लग सकेगा.
नावलेकर ने बताया कि उन्होंने 29 जून 2009 को पदभार ग्रहण किया था और तब से 24 नवंबर 2014 तक ट्रेप के 1108 प्रकरणों में 1.07 करोड रुपये की राशि जब्त की गई जबकि पद के दुरुपयोग के 356 प्रकरण सामने आये.
उन्होंने कहा कि इस अवधि में अनुपातहीन सम्पत्ति के 169 प्रकरणों में 339 करोड रुपये की अनुपातहीन सम्पत्ति का पता लगाया गया. उन्होंने कहा कि यह वह राशि है जिन पर उन सम्पत्तियों को खरीदा गया था तथा बाजार मूल्य के हिसाब से इसका मूल्य दस गुना से भी अधिक होगा.
उन्होंने बताया कि लोकायुक्त द्वारा अभी तक 852 प्रकरणों में अदालत में चालान पेश किये जा चुके हैं जबकि 70-80 प्रकरणों में अभी सरकार से स्वीकृति नहीं मिली है. उन्होंने बताया कि इस अवधि में लोकायुक्त को 24977 शिकायतें मिलीं थीं, जिनमें से 24185 का निराकरण कर दिया गया.मध्यप्रदेश में पिछले दस माह से उप लोकायुक्त का पद खाली होने का जिक्र करते हुए उन्होंने सरकार से इसे शीघ्र भरने का आग्रह किया.