इस साल अक्तूबर में रेलवे ट्रैक पर 18,735 लोगों की गई जान
नयी दिल्ली: रेलवे ट्रैकों पर हादसों को रोकने के कई कदम उठाए जाने के बावजूद पिछले कुछ सालों में ट्रैक पर मरने वालों की संख्या में बढोतरी दर्ज की गयी है. रेल मंत्रालय के आंकडों के अनुसार, 2011 में रेलवे ट्रैकों पर 14,973 मौतें हुई थीं. जबकि 2012 में यह आंकडा बढकर 16,336 हो गया. […]
नयी दिल्ली: रेलवे ट्रैकों पर हादसों को रोकने के कई कदम उठाए जाने के बावजूद पिछले कुछ सालों में ट्रैक पर मरने वालों की संख्या में बढोतरी दर्ज की गयी है. रेल मंत्रालय के आंकडों के अनुसार, 2011 में रेलवे ट्रैकों पर 14,973 मौतें हुई थीं. जबकि 2012 में यह आंकडा बढकर 16,336 हो गया. वहीं पिछले वर्ष 2013 में इस संख्या में और बढोतरी हुई और ट्रैकों पर मरने वालों की संख्या 19,997 पहुंच गई.
रेल मंत्रालय की सुरक्षा शाखा के आंकडों के मुताबिक, इस साल अक्तूबर तक रेलवे ट्रैकों पर 18,735 लोगों की जान गई है. रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रेलवे ट्रैकों पर लोगों की जान जाने का प्रमुख कारण अनाधिकृत प्रवेश, ट्रेनों से मुसाफिरों का गिर जाना, दुर्घटना और खुदकुशी है.
रेलवे ने रेलवे ट्रैकों पर मौतों को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं. जिसमें महत्वपूर्ण स्टेशनों पर सार्वजनिक उद्धोषणा प्रणाली से नियमित रुप से घोषणा कर मुसाफिरों से यात्री पुल (फुट ओवर ब्रिज) का इस्तेमाल करने और रेल लाइन से ट्रैक पार नहीं करने की गुजारिश करना शामिल है.
अधिकारी ने कहा ‘हम आम जनता को रेल लाइनों को पार करने से होने वाली मौतों के बारे में जागरुक करने और शिक्षित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चला रहे हैं.’ इस वक्त रेलवे में 11,563 मानव रहित लेवल क्रॉसिंग हैं. रेलवे ने मानव रहित लेवल क्रॉसिंग को हटाने का फैसला किया है और वहां पर रेल ओवर ब्रिज और अंडर ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है.