सुकमा में नक्सली अटैक में 14 जवान शहीद, गृह मंत्री ने कहा- बौखला गए हैं नक्सली

रायपुर/ सुकमा: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने सोमवार को एक बार फिर बड़े हमले को अंजाम दिया है. सुकमा जिले के चिंतागुफा थाना क्षेत्र में दोरनापाल व चिंतलनार गांव के मध्य सीआरपीएफ की पेट्रोलिंग पार्टी पर घात लगा कर किये गये हमले में 11 जवान और दो अफसर शहीद हो गये. 14 अन्य पुलिसकर्मी घायल हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 1, 2014 6:41 PM

रायपुर/ सुकमा: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने सोमवार को एक बार फिर बड़े हमले को अंजाम दिया है. सुकमा जिले के चिंतागुफा थाना क्षेत्र में दोरनापाल व चिंतलनार गांव के मध्य सीआरपीएफ की पेट्रोलिंग पार्टी पर घात लगा कर किये गये हमले में 11 जवान और दो अफसर शहीद हो गये. 14 अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गये. शहीद हुए अफसरों में असिस्टेंट कमांडेंट राजेश कपूरिया और डिप्टी कमांडेंट बीएस वर्मा हैं. बाद में एक और घायल जवान की मौत हो गयी.

सीआरपीएफ के एडीजी आरके विज ने बताया कि यह हमला तब हुआ जब 223 वीं व 206 कोबरा बटालियन के जवान सर्च ऑपरेशन के बाद वापस लौट रहे थे. बाद में पुलिस जवानों ने भी नक्सलियों पर जवाबी कार्रवाई की.

जानकारी मिलते ही सीआरपीएफ के आइजी ऑपरेशन और सुकमा एसपी अतिरिक्त सुरक्षा बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. जवानों के शवों को बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है. घटनास्थल के घने जंगलों के बीच होने के कारण थोड़ी समस्या आ रही है. इलाके में तलाशी अभियान जारी है. शहीद जवानों की संख्या बढ़ सकती है.

कम्युनिकेशन फेल : छत्तीसगढ़ के एडीजीपी (इंटेलिजेंस) का कहना है कि कम्युनिकेशन की नाकामी की वजह से यह घटना हुई. पिछले महीने ही नक्सलियों ने पुलिस दल और एयरफोर्स के एक हेलीकॉप्टर पर हमला किया था.

सीएम ने की निंदा : इधर राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने नक्सली हमले की निंदा की है और इसे कायरना हरकत कहा है. वहीं राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे सरकार और खुफिया तंत्र की विफलता कहा है .

आठ नक्सली भी ढेर!

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस घटना में आठ नक्सलियों के भी मारे जाने की संभावना जतायी गयी है. हांलकि इस दौरान नक्सलियों का शव बरामद नहीं किया गया है.

ग्रामीणों को ढाल बना कर हमला

नक्सलियों ने पेट्रोलिंग से लौट रहे 120 जवानों को घात लगा कर पहले घेरा, फिर आइइडी ब्लास्ट किया. इसके साथ ही अंधाधुंध फायरिंग करना शुरू कर दिया. जब तक जवान कुछ समझ पाते तब तक वे शहीद हो चुके थे. नक्सलियों ने यदि गांव के निर्दोषों को सामने ढाल बनाकर ना खड़ा किया होता तो इतना बड़ा हादसा करने में कामयाब नहीं हो सकते थे. जवान निर्दोष नागरिकों पर गोली नहीं चला सकते.

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