नहीं दी जा सकती आसाराम को विशेष रियायत: सुप्रीम कोर्ट
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आसाराम बापू को मेडिकल आधार पर जमानत देने से इंकार करते हुये आज कहा कि उन्हें कोई विशेष रियायत नहीं दी जा सकती. न्यायालय ने इसके साथ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उनका मेडिकल परीक्षण कराने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 76 वर्षीय […]
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आसाराम बापू को मेडिकल आधार पर जमानत देने से इंकार करते हुये आज कहा कि उन्हें कोई विशेष रियायत नहीं दी जा सकती. न्यायालय ने इसके साथ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उनका मेडिकल परीक्षण कराने का निर्देश दिया.
न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 76 वर्षीय आसाराम को जोधपुर जेल से दिल्ली लाने के बारे में कोई भी आदेश देने से इंकार करते हुये कहा कि इस बारे में राज्य सरकार को ही फैसला लेना होगा.
आसाराम के वकील ने जब अपने मुवक्किल की जमानत याचिका पर शीघ्र सुनवाई का आग्रह किया तो न्यायाधीशों ने कहा, ‘क्या विभिन्न कैदियों के लिये अलग आधार हो सकते हैं! पहले आपकी मेडिकल रिपोर्ट आने दीजिये. फिलहाल चिकित्सीय दृष्टि से तत्काल कोई आवश्यकता नहीं है. यह मेडिकल समस्या की बजाय बढ़ती उम्र से जुड़ी समस्या है.’ न्यायालय ने कहा कि शीतकालीन अवकाश के बाद जनवरी में उनकी याचिका पर सुनवायी की जायेगी.
शीर्ष अदालत ने 15 अक्तूबर को एम्स के निदेशक को आसाराम की मेडिकल रिपोर्ट की समीक्षा के लिये मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था. न्यायालय ने यह भी कहा था कि यदि जरुरत हो तो उनका मेडिकल परीक्षण यह निर्धारित करने के लिये किया जाये कि क्या जोधपुर बलात्कार मामले में उन्हें अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए.
जोधपुर की अदालत में आसाराम के खिलाफ जोधपुर आश्रम में एक नाबालिग लड़की का कथित रुप से यौन उत्पीड़न करने के मामले में बलात्कार, आपराधिक साजिश और अन्य अपराधों के लिये अभियोग निर्धारित हो चुके हैं.
जिला एवं सत्र अदालत ने आसाराम और उनके सहयोगी तथा सह आरोपी संचिता गुप्ता उर्फ शिल्पी और शरद चंद्र के खिलाफ पुलिस के आरोप पत्र में लगाये गये सभी आरोपों को, किशोर न्याय कानून की धारा 26 के अलावा बरकरार रखा है.