नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने कोल ब्लॉक आबंटन रद्द होने के बाद राज्यों पर पड़े वित्तीय प्रभावों के बारे में जानकारी मांगी है. सरकार यह जानना चाहती है कि कोयला खान आवंटन रद्द करने तथा जुर्माना लगाये जाने के उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसले के बाद कितना असर पड़ा है.
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सरकार ने राज्य से मांगी कोल आबंटन रद्द होने के बाद वित्तीय स्थिति की जानकारी
नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने कोल ब्लॉक आबंटन रद्द होने के बाद राज्यों पर पड़े वित्तीय प्रभावों के बारे में जानकारी मांगी है. सरकार यह जानना चाहती है कि कोयला खान आवंटन रद्द करने तथा जुर्माना लगाये जाने के उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसले के बाद कितना असर पड़ा है. इस साल सितंबर में […]
इस साल सितंबर में शीर्ष अदालत ने 1993 से विभिन्न कंपनियों को आंबटित 218 कोयला खानों में से 204 का आबंटन रद्द कर दिया. इनमें से कुछ कोयला खानें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की भी थी. न्यायालय ने केंद्र से परिचालन वाली 42 कोयला खानों का संचालन अपने हाथ में लेने को भी कहा.
न्यायालय ने अवैध और मनमाने तरीके से किये गये खान आवंटन के कारण सरकारी खजाने को हुए नुकसान की भरपाई के लिये कंपनियों से खानों से निकाले गये कोयले पर 295 रूपये प्रति टन की दर से तीन महीने के भीतर अतिरिक्त शुल्क भुगतान करने को भी कहा है.
कोयला मंत्रालय ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है, ‘‘कोयला खानों के आंबटन रद्द किये जाने तथा सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों पर जुर्माना लगाये जाने से राज्यों के वित्त पर पडने वाले प्रभाव के बारे में सूचना अभी तक इस मंत्रालय को नहीं मिली है. 14वें वित्त आयोग को अपनी रिपोर्ट को अंतिम रुप देने के लिये उक्त सूचना की जरुरत है.’’ यह पत्र महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल तथा तेलंगाना के मुख्य सचिवों को लिखा गया है. 14वें वित्त आयोग का गठन जनवरी 2013 को किया गया.
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