लोकसभा अध्यक्ष ने की साध्वी मामले में जारी गतिरोध खत्म करने की अपील

इंदौर: लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी आज विपक्षी दलों से साध्वी निरंजन ज्योति की विवादास्पद टिप्पणी पर जारी गतिरोध खत्म करने की अपील की. महाजन ने आज कहा कि केंद्रीय मंत्री की माफी और प्रधानमंत्री के बयान के बाद अब इस अध्याय को बंद किया जाना चाहिये तथा सदन में सरकार के नीतिगत विषयों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2014 4:27 PM

इंदौर: लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी आज विपक्षी दलों से साध्वी निरंजन ज्योति की विवादास्पद टिप्पणी पर जारी गतिरोध खत्म करने की अपील की. महाजन ने आज कहा कि केंद्रीय मंत्री की माफी और प्रधानमंत्री के बयान के बाद अब इस अध्याय को बंद किया जाना चाहिये तथा सदन में सरकार के नीतिगत विषयों पर नियमानुसार चर्चा की जानी चाहिये.

सुमित्रा ने यहां राष्ट्रीय पुस्तक मेले का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘विपक्ष के कहने पर मैंने सदन को 10 मिनट के लिये स्थगित किया और केंद्रीय मंत्री से तुरंत माफी मंगवायी. विपक्ष के कहने पर इस मामले में प्रधानमंत्री का बयान भी दिलवा दिया गया. अब मैं चाहती हूं कि केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी संबंधी अध्याय को बंद किया जाये और विपक्ष सरकार के नीतिगत विषयों पर सदन में नियमानुसार चर्चा करे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस बात (विवादास्पद टिप्पणी प्रकरण) को पकड के बैठ जाना ठीक नहीं है. संसद की कार्यवाही आगे बढनी चाहिये.

अगर विपक्ष को लगता है कि सरकार की किसी नीति में कोई गलती है, तो उसे सदन में इस मुद्दे को उठाना चाहिये.’’ सुमित्रा ने नेताओं के पुराने विवादास्पद बयानों की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘पहले भी गलत उदाहरण पेश किये गये हैं. लेकिन इस सिलसिले में माफी नहीं मांगी गयी. मेरा इस बात को कहने का मतलब यह कतई नहीं है कि इन गलत उदाहरणों की पुनरावृत्ति होनी चाहिये. लेकिन अब जब केंद्रीय मंत्री ने माफी मांग ली है, तो उन्हें एक मौका दिया जाना चाहिये.’ उन्होंने नेताओं को यह नसीहत भी दी कि उन्हें किसी की आलोचना के वक्त भी गलत भाषा के इस्तेमाल से बचना चाहिये. लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के इस आक्षेप को खारिज किया कि वह किसी दबाव के तहत काम कर रही हैं और विपक्षी सदस्यों को सदन में बोलने के लिये पर्याप्त वक्त नहीं दे रही हैं.
सुमित्रा ने कहा, ‘‘लोकसभा का रजिस्टर सबके लिये खुला है और इसे कोई भी देख सकता है. अगर केवल दो सदस्यों वाली पार्टी भी सदन में अपनी बात कहने की इजाजत मांगती है, तो मैं ऐसी पार्टी को बोलने का मौका देने का प्रयास करती हूं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रश्नकाल के वक्त अगर मुख्य सवाल भाजपा का होता है, तब मैं पूरक प्रश्न करने के लिये कभी कांग्रेस तो कभी सीपीएम को महत्व देती हूं. मुङो सभी पार्टियों को तवज्जो देनी है. अगर कोई सदस्य सदन में किसी विषय को उठाने के लिये मुझसे नियमानुसार अनुमति मांगेगा, तो मैं उसे अनुमति दूंगी.’’
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुडे ‘संस्कृत बनाम जर्मन’ विषय को ‘राजनीतिक तौर पर’ पेश किये जाने की आलोचना करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के तहत भारतीय विद्यार्थियों को अलग.अलग देशों की भाषाएं सीखनी चाहिये. लेकिन देश में संस्कृत पढाये जाने के मामले में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिये. संस्कृत को हम सभी भारतीय भाषाओं की मां मानते हैं और यह भाषा हमें सदियों से संस्कारों और पर्यावरण की रक्षा का संदेश दे रही है.’’ उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘विदेशी भाषाएं सीखते समय हमें भारतीय भाषाओं को नहीं भूलना चाहिये. भारतीय भाषाएं हमारी मां, मौसी और बुआ की तरह हैं.’’

Next Article

Exit mobile version