नयी दिल्लीः 11 दिसंबर को नई दिल्ली में 15 वीं भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन होने जा रहा है. इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रुसी राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन भारत आ रहें हैं. यह एक ऐसा अवसर होगा जिसमें वर्षों पुराने की दोस्ती को और प्रगाढ करने की दिशा में दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ताहोनी है.
दोनों देशों के प्रमुखों की यह पहली मुलाकात नहीं है. इसी वर्ष इन दोनों नेताओं की दो बार मुलाकात हो चुकी है. पहली बार जुलाई महीने में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान ब्राजील में और दूसरी बार नवंबर में जी-20 सम्मेलन के दौरान ब्रिस्बेन ऑस्ट्रेलिया में.
इसलिए ऐसी संभावना है कि इस बैठक में दोनों नेता एक दूसरे को समझने व अनौपचारिक बातों को छोड सीधे-सीधे मुद्दे की बात करेंगे. इस सम्मेलन की एक खास बात यह होगी कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद रुस के साथ भारत में यह पहली शिखर वार्ता होगी. और मोदी जिस तरह से ब्रिक्स, जी-20 आदि में अपनी बातों को रख रहे हैं उसको देखकर लगता है कि मोदी पुतिन के साथ इस वार्ता में किसी भी मुद्दे पर बात करने में कोई कसर नहीं छोडेंगे.
ब्लादीमीर पुतिन ने नयी दिल्ली में भारत-रुस वार्षिक शिखर सम्मेलन की नींव रखी थी जब वे अक्टूबर 2000 में भारत की यात्रा पर आये थे. 14 वर्षों के बाद पुतिन की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य होगा की इस द्विपक्षीय वार्ता को एक नया आयाम दिया जाय.
मोदी-पुतिन की ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में जब मुलाकात हुई तो पुतिन ने कहा कि भारत का बच्चा-बच्चा जानता है कि भारत और रुस अच्छे मित्र रहे हैं. लेकिन जहां तक मोदी और पुतिन की बात है तो पुतिन-मोदी का संबंध पुराना रहा है. जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो तीन बार उन्होंने रुस की यात्रा की है और पुतिन से मिले हैं.
रूस भारत के लिए रक्षा, अंतरिक्ष सहित परमाणु सुरक्षा और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भागीदार रहा है और दशकों तक ऐसा ही बना रहेगा. नयी दिल्ली स्थित विदेश मंत्रालय में यूरेशिया प्रभाग के प्रभारी संयुक्त सचिव अजय बिसारिया ने मोदी-पुतिन के संबंध में उक्त बाते कही.
सैन्य-तकनीकी सहित लगभग 15 महत्वपूर्ण द्विपक्षीय दस्तावेजों पर इस बैठक में हस्ताक्षर किये जाने की संभावना है. परमाणु ऊर्जा, हाइड्रोकार्बन, रक्षा, अंतरिक्ष और हीरा व्यापार से संबंधित क्षेत्र के बारे में बातचीत किये जाने की संभावना है. कुडनकुलम न्यूक्लियर प्रोजेक्ट की स्थापना को लेकर भी बातचीत किये जाने की संभावना है. पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (एफजीएफए) मुद्दे पर पुतिन से बातचीतकी जा सकती है.
अब यह देखना है कि पुतिन की इस भारत यात्रा में पुतिन कितनी उदारता पूर्वक भारत को विभिन्न मुद्दों पर सहयोग करते हैं और यह सहयोग मोदी के मेक इन इंडिया विजन में कितना कारगर साबित होता है.