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नक्सल विरोधी अभियान: छत्तीसगढ के बस्तर में तैनात किये जाएंगे 11,000 अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी
नयी दिल्ली: सरकार छत्तीसगढ में माओवाद से बुरी तरह प्रभावित बस्तर संभाग में नक्सल विरोधी अभियान के तहत 11,000 अतिरिक्त अर्धसैनिक तैनात करेगी. हाल में इस क्षेत्र में माओवादियों के घातक हमले में सीआरपीएफ के 14 जवान शहीद हो गए थे.इन 11 नयी बटालियनों में से, सीआरपीएफ की 10 और सीमा सुरक्षाबल की एक बटालियन […]
नयी दिल्ली: सरकार छत्तीसगढ में माओवाद से बुरी तरह प्रभावित बस्तर संभाग में नक्सल विरोधी अभियान के तहत 11,000 अतिरिक्त अर्धसैनिक तैनात करेगी. हाल में इस क्षेत्र में माओवादियों के घातक हमले में सीआरपीएफ के 14 जवान शहीद हो गए थे.इन 11 नयी बटालियनों में से, सीआरपीएफ की 10 और सीमा सुरक्षाबल की एक बटालियन के साथ छत्तीसगढ के सबसे दक्षिणी हिस्से में तैनात सुरक्षाकर्मियों की संख्या अधिकतम हो जाएगी.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा ‘केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छत्तीसगढ के बस्तर क्षेत्र में अभियानों में शामिल करने के लिए सीआरपीएफ की दस और बीएसएफ की एक अतिरिक्त बटालियन तैनात करने की मंजूरी प्रदान कर दी है. यह क्षेत्र हाल ही में राज्य और सुरक्षाबलों के खिलाफ नक्सली हिंसा का प्रमुख केंद्र बन गया है.’
इन 11 बटालियनों में से तीन बटालियन सात जिलों में शामिल बस्तर संभाग के घने जंगलों और ग्रामीण इलाकों में पहले ही पहुंच गयी हैं.माओवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों के अभियानों में बस्तर एक रणनीतिक स्थल है. यह तीन अन्य नक्सल प्रभावित राज्यों महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के त्रिकोण से घिरा है.
अधिकारी ने बताया ‘अगले साल अप्रैल तक इन 11 बटालियनों को पूरी तरह से तैनात कर दिये जाने की संभावना है.’ बीजापुर, सुकमा, दंतेवाडा, बस्तर, कोनडागांव, नारायणपुर और कांकेर सहित बस्तर क्षेत्र में सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो की दो विशेष इकाइयों के अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षा बलों की 31 बटालियन या लगभग 31,000 कर्मी पहले से ही तैनात हैं.
अधिकारी ने बताया कि 11 अतिरिक्त बटालियनों की तैनाती के बाद बस्तर में 40,000 वर्ग किलोमीटर के इलाके में राज्य पुलिस बल के अलावा 41 इकाई हो जाएंगी. सुकमा और दंतेवाडा जिलों में सीआरपीएफ की 10 नयी इकाइयों को तैनात किया जाएगा. जबकि कांकेर में बीएसएफ की एक यूनिट तैनात की जाएगी जहां बल की पहले से ही सात बटालियन तैनात हैं.
बस्तर संभाग के जंगलों में नक्सल हमलों में अप्रैल 2010 में किये गये हमले में दंतेवाडा में 76 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गये थे. पिछले साल के ‘जिराम घाटी’ नरसंहार में प्रदेश कांग्रेस का समूचा शीर्ष नेतृत्व खत्म हो गया था.
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