समुद्री लुटरों ने किया 416 भारतीयों को अगवा, 7 अभी भी कब्जे में : RTI रिपोर्ट

नयी दिल्ली : सरकार ने कहा है कि सोमालिया और नाइजीरिया से परिचालन कर रहेजलदस्युओं द्वारा चार वर्ष पहले अपहरण किए गए सात भारतीयों के बारे में कोई जानकारी नहीं है. सरकार ने कहा कि पिछले छह वर्षों में जलदस्युओं ने 400 से अधिक नागरिकों का अपहरण किया है. सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 7, 2014 1:23 PM

नयी दिल्ली : सरकार ने कहा है कि सोमालिया और नाइजीरिया से परिचालन कर रहेजलदस्युओं द्वारा चार वर्ष पहले अपहरण किए गए सात भारतीयों के बारे में कोई जानकारी नहीं है. सरकार ने कहा कि पिछले छह वर्षों में जलदस्युओं ने 400 से अधिक नागरिकों का अपहरण किया है.

सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत पोत परिवहन महानिदेशालय (डीजीएस) से प्राप्त जानकारी के अनुसार, साल 2008 से इस वर्ष अप्रैल तक 42 घटनाओं में 416 भारतीयों का अपहरण किये जाने की सूचना है.

2010 में ऐसे सबसे अधिक 10 मामले सामने आए जिसमें चालक दल के 100 सदस्यों का अपहरण किया गया. 2011 में नौ घटनाओं में 87 लोगों का अपहरण किया गया जबकि 2008, 2009 और 2012 में ऐसी पांच. पांच घटनाएं सामने आईं जिनमें जलदस्युओं ने क्रमश: 63, 47 और 43 भारतीयों का अपहरण किया.

महानिदेशालय ने कहा कि 2013 और अप्रैल 2014 तक जलदस्युओं द्वारा अपहरण किये जाने की चार.चार घटनाएं सामने आई हैं जिसमें क्रमश: 46 और 30 भारतीयों का अपहरण किया गया.

आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार, इन सभी अपहृत भारतीय नागरिकों में से सात को छोड़कर अन्य बंधक बाद रिहा कर दिए गए हैं. 29 सितंबर 2010 में असफाल्ट वेंचर पोत से 15 भारतीयों का अपहरण किया गया था.

198 दिनों तक बंधक बनाये रखने के बाद इनमें से आठ को रिहा कर दिया गया लेकिन सात लोग अभी भी उनकी कैद में हैं.

पोत परिवहन मंत्रालय के तहत आने वाले इस महानिदेशालय ने हालांकि आरटीआई के तहत छूट के उपबंध का हवाला देते हुए जलदस्युओं द्वारा बंधक बनाये गए लोगों के नाम और पता बताने से इंकार कर दिया.

पीटीआई की ओर से दायर आरटीआई के जवाब में डीजीएस ने कहा कि आपको बताया जाता है कि बंधक बनाये गए जिन लोगों के नाम और पते के बारे में आपने जानकारी मांगी है, वह व्यक्तिगत सूचना है और जिससे निजता का उल्लंघन होगा, इसलिए इसे आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (जे) के तहत छूट प्राप्त है.यह पूछे जाने पर कि क्या अपहर्ताओं को फिरौती दी गई थी, तो उसका ब्यौरा दें, महानिदेशालय ने कहा कि सूचना की जानकारी नहीं है.

आरटीआई के तहत प्राप्त जवाब में कहा गया है कि अलबेडो पोत का 26 नवंबर 2010 में सोमालिया तट के पास अपहरण किया गया था और उसमें सवार दो भारतीयों का अपहरण किया गया था. इन्हें 1286 दिन (करीब) साढे तीन वर्ष तक बंधक बनाकर रखा गया. इनमें से एक भारतीय को रिहा कर दिया गया जबकि एक अन्य की मौत की सूचना मिली है.

एक अन्य भारतीय पोत आइसबर्ग का 29 मार्च 2010 को सोमालिया के तट के पास भारतीय चालक दल के छह सदस्यों के साथ अपहरण कर लिया गया. इनमें से पांच को 999 दिन तक बंधक बनाये रखने के बाद रिहा कर दिया गया जबकि एक भारतीय के लापता होने की सूचना है.

महानिदेशालय ने कहा कि विभिन्न पक्षों, मंत्रालयों के अधिकारियों को शामिल करते हुए एक अंतर मंत्रालयी समूह का गठन कैबिनेट सचिवालय ने किया है जिसकी अध्यक्षता पोत परिवहन मंत्रालय में अतिरिक्त विशेष सचिव एवं वित्तीय सलाहकार कर रहे हैं. यह समूह समुद्र में अपहरण, मालवाहक पोतों पर कब्जा किए जाने से उत्पन्न स्थिति से निपटेगा.

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