साध्वी मुद्दे को लेकर संसद में जारी गतिरोध समाप्त, विपक्ष हुआ नरम
नयी दिल्लीः केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति की विवादास्पद टिप्पणी के मुद्दे पर संसद में पिछले एक सप्ताह से बना गतिरोध आज उच्च सदन में सभापति द्वारा एक प्रस्ताव पढे जाने के बाद समाप्त हो गया और दोनों सदनों में सामान्य रुप से कामकाज शुरु हुआ. प्रस्ताव में किसी का नाम लिए बिना सभी सांसदों, […]
नयी दिल्लीः केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति की विवादास्पद टिप्पणी के मुद्दे पर संसद में पिछले एक सप्ताह से बना गतिरोध आज उच्च सदन में सभापति द्वारा एक प्रस्ताव पढे जाने के बाद समाप्त हो गया और दोनों सदनों में सामान्य रुप से कामकाज शुरु हुआ.
प्रस्ताव में किसी का नाम लिए बिना सभी सांसदों, मंत्रियों और राजनीतिक दलों के नेताओं से सार्वजनिक बयानों में हर कीमत पर शिष्टता बरतने की बात कही गई है. मंत्री के इस्तीफे की मांग करने वाला विपक्ष पिछले कुछ दिनों से अपने रुख में कुछ नरमी लाते हुए उच्च सदन में ऐसा प्रस्ताव अपनाने की मांग कर रहा था जिसमें किसी भी सांसद, मंत्रिपरिषद के सदस्य या राजनीतिक दलों के नेताओं के उन बयानों की निंदा करने की बात कही जाए जो संविधान और कानून का उल्लंघन करते हों.
इस तरह के बयान को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष में आज अंततः सहमति बन गई और उच्च सदन में तीन बार के स्थगन के बाद प्रश्नकाल के दौरान सभापति द्वारा ऐसा एक बयान पढे जाने के पश्चात सदन में सामान्य ढंग से कामकाज चलने लगा.
सभापति हामिद अंसारी ने प्रस्ताव पढा जिसमें सार्वजनिक बयानों में हर कीमत पर शिष्टता बरतने की बात कही गई है ताकि संसदीय कामकाज को सफलतापूर्वक चलाया जा सके और संवैधानिक मूल्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को बरकरार रखा जा सके.
सभापति ने इस प्रस्ताव में कहा सदन इस सभा में चार दिसंबर को प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए बयान पर सहमति जताते हुए संसद के सभी सदस्यों, मंत्रियों और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अपील करता है कि संसदीय लोकतंत्र को सफलतापूर्वक चलाने की खातिर एवं संवैधानिक मूल्यों के लिए हमारी प्रतिबद्धता को बरकरार रखने के मकसद से सार्वजनिक वक्तव्यों में हर कीमत पर शिष्टता कायम रखी जाए.’’ उधर साध्वी के बयान पर ही लोकसभा में भी बना गतिरोध आज समाप्त हो गया और कांग्रेस सहित तृणमूल कांग्रेस, वामदल, सपा, राजद तथा अन्य दलों ने सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया. सरकार ने भी सदन की कार्यवाही चलाने में सहयोग के लिए विपक्ष को धन्यवाद दिया.
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकाजरुन खडगे ने कहा कि विपक्ष बार बार इस मुद्दे को उठाकर सदन की कार्यवाही बाधित नहीं करना चाहता. हालांकि उन्होंने अध्यक्ष से शिकायत दर्ज करायी कि इस मसले पर उनके अपनी बात रखने पर माइक बंद कर दिया गया था जिससे उनकी बात कार्यवाही में दर्ज नहीं हुई.
उन्होंने कहा, हम सदन चलाना चाहते हैं और ठीक ढंग से चलायेंगे.’’ अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा, मैंने आपकी बात सुनी. स्पीकर जिसको अनुमति देते हैं, उनका ही माइक चलता है. अच्छी बात है कि सदन चलाना चाहते हैं. आगे हम एक दूसरे को सहयोग करके सदन चलायें.’’ विपक्ष और सत्ता पक्ष में आम सहमति बनने से पहले राज्यसभ में आज सदन की बैठक शुरु होने पर विपक्ष ने इस तरह का निंदा प्रस्ताव लाने की अपनी मांग को फिर दोहराया.
कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने दो पंक्ति का निंदा प्रस्ताव पारित करने की पेशकश की. उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव पर सदन में मतदान कराया जाना चाहिए. संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद और ससंदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने उनकी इस पेशकश का कडा विरोध किया. उप सभापति पी जे कुरियन ने भी इसे नामंजूर करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव उनकी मंजूरी से नहीं लाया गया है.
उप सभापति द्वारा प्रस्ताव को पेश करने की मंजूरी नहीं दिए जाने के विरोध में कांग्रेस, सपा और तृणमूल के कई सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के समक्ष आ गए. इसी बीच सत्ता पक्ष के कई सदस्यों ने सदन की कार्यवाही चलने देने की मांग शुरु कर दी.
सदन में हो रहे हंगामे के कारण बैठक को दो बार स्थगित करना पडा. सूत्रों के अनुसार, इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच यह सहमति बनी कि प्रधानमंत्री के सदन में दिए गए बयान के आधार पर सभापति एक प्रस्ताव पेश करेंगे जिसमें सार्वजनिक वक्तव्यों में शिष्टता बरतने की बात होगी. इसी सहमति के आधार पर बाद में सभापति ने सदन में प्रस्ताव पढा और गतिरोध समाप्त हो गया.
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह मंगलवार से ही साध्वी निरंजन ज्योति की विवादस्पद टिप्पणियों को लेकर सदन में गतिरोध बना हुआ था. ज्योति ने मंगलवार को दोनों सदनों में दिए गए बयान में अपने शब्दों पर खेद व्यक्त किया था.
बाद में विपक्ष की मांग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दोनों सदनों में दिए गए बयान में मंत्री के एक सार्वजनिक सभा में दिए गए विवादास्पद बयान को पूरी तरह से नामंजूर किया था. लेकिन विपक्ष प्रधानमंत्री के बयान से संतुष्ट नहीं हुआ और उसने पहले मंत्री को बर्खास्त करने और बाद में अपने रुख को नरम करते हुए निंदा प्रस्ताव पारित किए जाने की मांग की थी.
सरकार पिछले हफ्ते निंदा प्रस्ताव की विपक्ष की मांग पर यह कहते हुए सहमत नहीं हुई थी कि प्रधानमंत्री के बयान के बाद यह मामला समाप्त हो जाना चाहिए.
लोकसभा में संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने खडगे की इस बात के लिए सराहना करते हुए कहा कि विपक्ष ने प्रधानमंत्री से बयान देने की मांग की थी. प्रधानमंत्री ने बयान दे दिया. अब काफी काम है, कई सदस्यों ने नोटिस दिया है. अब इसे समाप्त करके सदन को चलायें.